Tuesday, September 6, 2011

स्पीडी ट्रायल के बाद ..अब स्पीडी अपील




( मुख्यमंत्री जनता दरबार में गृह सचिव श्री आमिर सुभानी एवं अन्य पुलिस अधिकारी के साथ डीजीपी श्री अभयानंद - फोटो साभार - दैनिक जागरण , पटना संस्करण )

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना : सजायाफ्ता होने के बाद भी जमानत पर घूम रहे अपराधियों की अब खैर नहीं। स्पीडी ट्रायल के बाद अब स्पीडी अपील का नया फंदा उन्हें जेल में सजा काटने को बाध्य कर देगा। यह भी हो सकता है स्पीडी अपील से उन्हें सजा से मुक्ति भी मिल जाए, पर हर हाल में पुलिस स्पीडी अपील की राह पकड़ेगी। स्पीडी अपील को लागू किए जाने को ले सरकार के स्तर से अदालतों को लिखा गया है। स्पीडी ट्रायल पिछले कुछ वर्षो से पुलिस के पास अपराधियों को सजा दिलाने के एक कारगर शस्त्र के रूप में है। पुलिस स्तर पर 2006 से इसपर सुनियोजित तरीके से काम शुरू हुआ था। उस वर्ष 6839 अपराधियों को इसके माध्यम से सजा दिलायी गयी थी। 2007 में 9853, 2008 में 12007, 2009 में 13146, 2010 में 14311 और 2011 में अगस्त तक 8411 अपराधियों को स्पीडी ट्रायल से सजा दिलायी जा चुकी है। इस तरह 2004 से अब तक 64637 अपराधियों को सजा मिल चुकी है। इनमें 133 अपराधियों को फांसी, 10818 लोगों को आजीवन कारावास व शेष अपराधियों को अन्य अपराधियों को सजा हुई वे अपील में चले गये। अपील अटक गयी और अपराधी की जमानत हो गयी। सजायाफ्ता अपराधी बेखौफ होकर घूम रहे हैं। पुलिस मुख्यालय ने उन आंकड़ों पर गौर किया कि कितनी संख्या में सजायाफ्ता अपराधी छुट्टा घूम रहे हैं। इस स्थिति की समीक्षा के बाद पुलिस मुख्यालय ने स्पीडी ट्रायल की तर्ज पर स्पीडी अपील पर काम शुरू कर दिया है। जिला अधीक्षकों को पुलिस मुख्यालय के स्तर पर यह हिदायत दी गयी है कि वह अदालत को यह लिखित रूप से दें कि अपील को भी स्पीडी ट्रायल का रूप दे दिया जाये। सामान्य रूप से दो दिनों में अपील का निष्पादन किया जा सकता है। इससे सजायाफ्ता अपराधियों को जेल में पहुंचाने का रास्ता सहज हो जायेगा। डीजीपी अभयानंद ने इस बाबत पूछे जाने पर कहा कि कई जिलों में स्पीडी अपील की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। सभी जगहों पर इसे अनिवार्य रूप से शुरू कराने की योजना है। उन्हें उम्मीद है कि अपराध पर कानून के माध्यम से अंकुश लगाने में यह एक कारगर शस्त्र साबित होगा। पुलिस मुख्यालय के स्तर से अभी स्पीडी ट्रायल की नियमित मानीटरिंग होती है। हर जिले के पुलिस अधीक्षक को अनिवार्य रूप से पुलिस मुख्यालय को यह रिपोर्ट भेजनी है कि एक माह में कितने अपराधियों को स्पीडी ट्रायल में सजा हुई। अब यह व्यवस्था की जा रही है कि कितने अपराधियों के खिलाफ स्पीडी अपील की प्रक्रिया पर काम आरंभ हुआ।

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