Thursday, March 29, 2012

Nitish Kumar Inaugrate Bihar Police Magazine


साभार : दैनिक हिंदुस्तान 

Sunday, March 25, 2012

Abhayanand : आईआईटी परीक्षा देने जा रहे हैं तो उससे पहले इन्हें पहचान लीजिए!

पटना। डीजीपी अभयानंद पुलिस में अभिनव प्रयोगों से चर्चा में हैं। लेकिन सुपर 30 के संस्थापक के रूप में उनकी पहचान फिर भी गाढ़ी है। अपने मेंटरशिप में अलग-अलग छह सुपर 30 संस्थान चलाने वाले अभयानंद ने कोचिंग जगत के लिए नजीर पेश की है। गरीब किंतु मेधावी छात्रों को आईआईटी की मुफ्त तैयारी कराने वाले इन संस्थानों के 91 वैसे बच्चों की लिस्ट जारी की गई है जो आईआईटी प्रवेश परीक्षा देंगे।
 
इनमें 30 बच्चे कानपुर स्थित गेल उत्कर्ष सुपर 100 के, पंद्रह छात्र दिल्ली स्थित अभयानंद सुपर 30 के, गुवाहाटी स्थित ओआईएल इंडिया सुपर 30 के आठ, जोरहट स्थित ओआईएल इंडिया सुपर 30 के पांच, पटना स्थित रहमानी सुपर 30 के 18 और गया स्थित मगध सुपर 30 के 15 छात्र शामिल हैं। शनिवार को पटना के बीआईए हॉल में इस बावत आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अभयानंद के अलावा संस्थान से जुड़े कृष्णमूर्ति, शब्बीर उल हुदा, पंकज आदि मौजूद थे।
 
ताकि हर कोई क्रॉस चेक कर सके अभयानंद ने बताया कि पिछली बार उन्होंने अपनी देख-रेख में चल रहे सुपर 30 से आईआईटी की तैयारी करनेवाले छात्रों की लिस्ट परीक्षा बाद लेकिन परिणाम से पहले जारी की थी। इस बार परीक्षा से पहले जारी किया गया है। आठ अप्रैल को आईआईटी प्रवेश परीक्षा होनी है। अभयानंद ने बताया कि अब हर कोई यह पता लगा सकेगा कि उनके मार्गदर्शन वाले सुपर 30 से कौन छात्र परीक्षा में बैठनेवाले हैं और फिर परिणाम आने पर मिलान कर सकेंगे।
 
बड़े उपक्रमों की दिलचस्पी बढ़ी
 
अभयानंद ने सुपर 30 की नींव दस साल पहले गणितज्ञ आनंद के साथ डाली थी। कुछ वर्षो बाद दोनों की राह अलग हो गई और चार साल पहले अभयानंद ने मुस्लिम पूंजीपतियों के सहयोग से पटना में रहमानी सुपर 30 शुरू किया। फिर गेल, ऑयल इंडिया, पावर ग्रिड, आईजीएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े उपक्रमों ने सीएसआर यानि कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तहत देश के कई जगहों पर सुपर 30 संस्थानों के संचालन में आर्थिक मदद दी।
 
दस महीने की मुफ्त काउंसलिंग
 
अभयानंद सुपर 30 संस्थानों में वंचित तबके के मेधावी छात्रों को दस महीने की आवासीय कोचिंग मुफ्त दी जाती है। पिछले चार वर्षो में लगभग सौ छात्र आईआईटी निकाल चुके हैं। 

Abhayanand : Money can’t produce IITians


The Times of India Writes :

PATNA: State DGP Abhayanand on Saturday announced that 91 students from six centres (Kanpur, Delhi, Guwahati, Jorhat, Patna and Gaya) of Abhayanand Super 30 would appear at the IIT-JEE 2012 examinations on April 8. 

Talking about the modus operandi to select candidates for his Super 30, Abhayanand said the Centre for Social Responsibility and Leadership (CSRL) executives visited 91 remote districts in UP, Assam, Maharashtra and Delhi national capital region (NCR), to identify students who had the potential and talent but no money to join the mainstream higher education. "Jawahar Navodaya Vidyalayas are our main hunting grounds. I personally screen candidates before finally giving admission to our centres," said Abhayanand. 

Asked about the fund for his projects, the DGP said public sector undertakings, like Gail, Power Grid Corporation of India, IGL and Oil India have been sponsoring the centres at Kanpur, Delhi, Guwahati and Jorhat, respectively. Some private sector companies are also keen to sponsor projects in their respective economic zones. 

"In Gaya, a dedicated team of professionals are teaching the students without charging any fee. I also interact with students of outside Bihar through videoconferencing," Abhayanand said. 

The DGP has a piece of advice for the parents. "Money cannot produce IITians. Focused guidance and motivation to hone the potential of a student can. Parents should screen their wards first before sending them to a coaching institute for IIT. That would save them from frustration," he said. 

DGP’s institute lists 91 aspirants

The Telegraph Writes :

Patna, March 24: Bihar’s director-general of police Abhayanand’s Super 30 centre today announced a list of 91 students who would appear for IIT-JEE on April 8.
The names of the candidates have been made public to make the functioning of the coaching centres more transparent. “People raise questions on the list of candidates once the result of IIT-JEE is published. Last year, we announced the list pr-ior to the publication of results but this year we decided to announce it even before the examination,” Abhayanand said.
He expressed hope that the results would be better than last year. In 2011, 34 out of 85 candidates made it to the IITs from his coaching centres across the country. “We have provided the list of all the six coaching centres being run across the country with the names of candidates and their addresses where they are given free residential coaching. Anyone can check the veracity of the list,” he added.
These 91 students belonging to six groups being run under the academic guidance of Abhayanand. Under corporate social responsibility programme, companies like GAIL, Oil India Ltd, Power Grid Corporation of India and Indraprastha Gas Ltd have been providing financial support, Abhayanand said.

Monday, March 19, 2012

चम्पारण के अंकुर से काफी उम्मीदें : डीजीपी


-- लेट्स प्रोग्रामिंग की पुस्तक के दूसरे संस्करण का किया लोकापर्ण
मोतिहारी, जागरण प्रतिनिधि : सूबे के पुलिस महानिदेशक व शिक्षाविद् अभयानंद ने कहा कि कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग पर पुस्तक लिखनेवाले दुनिया के पहले अंडर ग्रेज्युएट चम्पारण के लाल अंकुर अरमान से काफी उम्मीदें हैं। अबतक वे हमारी विश्वास पर खरे उतरे हैं और आगे भी इनसे कई उम्मीदें है। वे राजधानी पटना में आयोजित पुस्तक मेला में अंकुर द्वारा लिखित 'लेट्स प्रोग्रामिंग एट द रेट स्पीड ऑफ माइंड' के द्वितीय संस्करण का लोकार्पण करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने अंकुर के अगले प्रोजेक्ट गांव के बच्चों तक कम्प्यूटर शिक्षा पहुंचाने को काफी सकारात्मक कदम बताते हुए अपनी ओर से हरसंभव सहयोग दिलाने का भरोसा दिलाया। इस मौके पर खास तौर पर महिला आईपीएस पटना की सिटी एसपी किम भी मौजूद थीं। पुस्तक मेले में अंकुर की पुस्तकें पाठकों में खासे आकर्षण के केंद्र में रहा। इस मौके पर अंकुर ने बताया कि उनकी पुस्तकों की मांग विदेशों में भी हो रही है। इस मौके पर धर्मेद्र कुमार, निलेश कुमार, अमृत तिवारी व रविरंजन पाठक भी मौजूद थे।
 

'योर स्टूडेंट्स विल परर्फाम'



कई हजार छात्र-छात्राओं को आइआइटी प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त करा चुके डा. बीवी राव ने मगध सुपर-30 के मेंटर सह प्रणेता सूबे के पुलिस महानिदेशक अभयानंद से कहा-'योर स्टूडेंट्स विल परर्फाम'। आइआइटी मद्रास एवं दिल्ली से एमटेक डा.राव कोटा के राव एकादमी आइआइटी के निदेशक के साथ-साथ देश के विख्यात रसायन शास्त्र के विद्वान हैं। वे मंगलवार को अचानक नूतन नगर मुहल्ला में स्थित मगध सुपर-30 पहुंचे। उन्होंने करीब ढ़ाई घंटे तक बच्चों को रसायन शास्त्र विषय पर लेक्चर दिया। बच्चों से सवाल-जवाब किया।
डा.राव मंगलवार को दिल्ली से राजगीर जाने के क्रम में गया हवाई अड्डा पर उतरे। डा.राव को यह जानकारी मिली कि गया के छात्र-छात्राओं को एक छत के नीचे रखकर गुरुकुल परंपरा के तहत नि:शुल्क पठन-पाठन की सुविधा गया के नागरिकों द्वारा 'समाज के लिए समाज के द्वारा' की जा रही है। डा.राव स्वयं मगध सुपर-30 पहुंचे। बच्चों से मिले। डा.राव को बच्चों से सवाल-जबाव के बाद श्री अभयानंद से बात करायी गयी। करीब 15 मिनट की बात की। उन्होंने कहा कि गया के नागरिकों की पहल काबिले तारीफ है। श्री अभयानंद ने डा. राव को बच्चों को समय देने के लिए धन्यवाद दिया। डा. राव देर रात राजगीर सैनिक स्कूल के लिए रवाना हो गए। जहां उन्हें विशेष अतिथि के रूप में एक समारोह में शामिल होना है।

Now, criminals to sign bonds for good conduct


PATNA: Bihar Police have adopted a novel method to check crime in the state. Habitual offenders are being made to sign bonds under Section 110(G) of the CrPC and deposit 25% of the bond amount in court, DGP Abhayanand said. Section 110 (G) of the CrPC is an old law. But it has not been seriously implemented in several police stations in the state.
Now the police officials have been given directive to use the section against all the habitual offenders who indulged in unlawful and criminal acts, he told TOI. Patna SSP Alok Kumar said the section was implemented in each police station in the district. About 700 criminals have so far been brought under this section and they have been forced to sign the bonds as well, he said, adding that he was personally monitoring each case under this section. According to Khagaul police station SHO Kamod Prasad, the police have indentified 50 odd hardcore criminals in the area during the drive launched in the past two weeks.
They have to furnish bonds of Rs 1 lakh under this section in the SDM court with two sureties of the same amount. They have also to deposit 25% of the bond amount in the court, he said. Notorious criminals like Benga Gope, Sunil Yadav and Ritlal Yadav have been asked to sign such bonds. Out of the 50 odd criminals identified under this section, 19 of them have already signed the bond and deposited Rs 25,000 each in the SDM court at Danapur as surety to maintain good conduct, the SHO said.
The Khagaul SHO admitted that the area was disturbed in the past due to incidents of murder, snatching, loot, dacoity and theft. Besides, the habitual offenders on bails were giving a tough time to police. Use of this particular section has helped police in checking crime, he said, adding that a proposal has been sent to senior police officials to use this section against land grabbers and economic offenders too.
Citing an example of the effectiveness of using the section, he said the police forced Neeraj Kumar, a habitual criminal of Khagaul area involved in over a dozen criminal cases, to sign the bond and deposit Rs 25,000 in the SDM court at Danapur. He has been maintaining good conduct since signing the bond, the SHO said.


Tuesday, March 6, 2012

बताइए करंट जीरो कैसे होगा?


जागरण डॉट कॉम लिखते हैं : 

पटना, भुवनेश्वर वात्स्यायन
पटना के पटेलनगर स्थित एक बेडरूम से हर सुबह गुवाहाटी, जोरहट व नोयडा के बच्चे आइआइटी में पहुंचने के टिप्स लेते हैं। क्लासरूम भले ही लो प्रोफाइल लगे, इससे जुड़े लोग हाई प्रोफाइल जरूर हैं। बिहार की इस बड़ी ब्रांडिंग को ओएनजीसी व गेल की सब्सिडियरी इंद्रप्रस्थ गैस का ईंधन हासिल है।
एक जमाने में आइआइटी के साथ सुपर थर्टी की चर्चा को अनिवार्य बना चुके बिहार के डीजीपी अभयानंद इन दिनों एक नये अभियान में लगे हैं। अपने बेडरूम से हर सुबह बिहार के बाहर के बच्चों को आइआइटी में प्रवेश के लिए तैयार कर रहे हैं। ऐसे बच्चों की संख्या लगभग डंेंढ़ सौ है।
ओएनजीसी, गेल, आइजीएल तथा पावर ग्रिड ने अभयानंद से यह अनुरोध किया था कि वह कुछ बच्चों का चयन कर उन्हें आइआइटी के लिए तैयार कर दें। अभयानंद ने बताया कि उनके लिए यह संभव नहीं था कि वह देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर बच्चों को लिए पढ़ाते। दरअसल, पेट्रोलियम कंपनियां अपने कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत अपने कार्यक्षेत्र वाले इलाके के गरीब मेधावी बच्चों का चयन कर उन्हें अच्छी कोचिंग दिलाना चाहती थीं।
अभयानंद ने इतना भर किया कि गुवाहाटी, जोरहट और नोयडा में चलने वाले केंद्रों के लिए बच्चों के चयन में मदद भर कर दी। गुवाहाटी और जोरहट का केंद्र ओएनजीसी द्वारा तथा नोयडा का केंद्र गेल की सब्सिडियरी इंडियन गैस लिमिटेड की देखरेख में चलता है। इन कंपनियों ने मिलकर अभयानंद के बेडरूम में बेहतर बैंडविड्थ के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था करा दी। जिन शहरों में बच्चों को रखा गया है, वहां के क्लासरूम में भी वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था हो गयी। अब हर सुबह अभयानंद अखबार पढ़ने के समय उन सेंटरों पर मौजूद बच्चों को फिजिक्स पढ़ाते हैं। इंटरैक्टिव सेशन कुछ इस तरह का है कि एलआर सर्किट पढ़ते समय बच्चों से अभयानंद यह सवाल भी करते हैं - चेक करिए बैट्री का करंट जीरो कैसे होगा? ब्रेक भी ले लेते हैं, यह कहते हुए प्राब्लम साल्व करिए अभी आकर मिलते हैं। प्राब्लम साल्व होता है और फिर बच्चों का हाल-चाल भी लेते हैं।
अभयानंद ने बताया कि इस अंदाज में पढ़ाई का यह उनका पहला अनुभव है। जो बच्चे पढ़ रहे हैं वे काफी मेधावी हैं और उनसे हमें काफी उम्मीद है। अप्रैल में उन्हें इम्तिहान देना है फिर..। कानपुर में पावर ग्रिड ने अपने कर्मियों के बच्चों के लिए इस तरह की व्यवस्था की है। पर वोल्टेज में उतार-चढ़ाव की वजह से वहां इस तरह की कांफ्रेंसिंग नहीं हो पा रही है।

अपराध नियंत्रण को जारी रहेगा प्रयास : डीजीपी


जागरण डॉट कॉम लिखते हैं : 

जमुई, जागरण प्रतिनिधि : पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने कहा कि हम अपराध से जूझते हैं। अपराध में अप और डाउन होता रहता है। परंतु अपराध नियंत्रण का प्रयास जारी रहेगा।
अभयानंद सोमवार की संध्या जमुई के परिसदन भवन में प्रेस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमने एक सिलसिला शुरु किया है। हर जिले में जाकर वहां की जमीनी समस्याओं को देखना और उसके समाधान की दिशा में प्रयास करना। उन्होंने कहा कि हमेशा हम अपनी कमियों को पहचानने की कोशिश करते हैं। अपराध कभी भी खत्म नहीं हो सकता। हमारे पास जो साधन हैं उससे कानूनी तरीके से हम नियंत्रण का प्रयास करते हैं। अपराध नियंत्रण के लिए कई एजेंसी लगी है। सब पर हमारा नियंत्रण नहीं होता। उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसी समस्या नहीं है जिस पर काबू नहीं पाया जा सकता। किसी पर कार्रवाई करने के लिए साक्ष्य की जरुरत होती है।
डीजीपी अभ्यानंद ने कहा कि सरकार ने आर्थिक अपराध पर काबू पाने के लिए अलग सेल बनाया है। नक्सल और अपराध के नाम पर आर्थिक अपराध करने वालों पर हमारी नजर है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि उपेन्द्र शर्मा एक युवा संवेदनशील अधिकारी हैं। इनके नेतृत्व में जिला पुलिस अच्छा काम कर रही है।

अभिभावक की भूमिका में दिखे डीजीपी
जमुई, जागरण प्रतिनिधि : सोमवार को पुलिस लाइन के निरीक्षण के दौरान डीजीपी अभयानंद अभिभावक की भूमिका में दिखे। उन्होंने पहले मुंगेर डीआइजी अनिल किशोर यादव, एसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा, एएसपी पुष्कर आनंद के साथ लेखा-जोखा की जानकारी ली। तदुपरांत पुलिस सभा में शिरकत किया, जिसमें डीजीपी ने बारी-बारी से पुलिस लाइन की समस्याओं को सुना। इस दौरान पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण कुमार ने सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस लाइन की घेराबंदी तथा एटीएम खुलवाने की मांग की। वहीं सैप जवानों ने बकाए टीए की भुगतान की मांग डीजीपी से की, जिस पर अभयानंद द्वारा समुचित कार्रवाई का भरोसा दिया गया। इस दौरान पुलिस जवानों ने लाइन में बुनियादी सुविधाओं की कमी की ओर भी उनका ध्यान आकृष्ट कराया। इसके पूर्व डीजीपी ने पैरेड की सलामी ली।

Saturday, February 4, 2012

आह नहीं ! वाह बिहार बोलो !

 रविवार सुबह लगभग 9 बजे। उड़ीसा के खिलाड़ियों को लेकर एक बस बीएमपी-5 में पहुंचती है। बस से उतरते ही सभी खिलाड़ी नवनिर्मित विश्वस्तरीय बास्केटबाल कोर्ट की तरफ बढ़ते हैं।  कोर्ट का निरीक्षण कर लौट रहे सीआरपीएफ की टीम से हमारी मुलाकात होती है। कोर्ट,  बिहार की मेजबानी और व्यवस्था के संबंध में पूछने पर सीआरपीएफ का खिलाड़ी कहता है भाई पूछो मत ,आह!  टीम के आगे चल रहे सीआरपीएफ के बास्केटबाल टीम के टीम मैनेजर संजय सिंह कहते हैं, अरे आह नहीं, वाह बिहार बोल यार! टीम मैनेजर के इतना कहते ही सीआरपीएफ के सभी खिलाड़ी बिहार पुलिस की मेजबानी, यहां के ग्राउंड, कोर्ट और व्यवस्था की तहे दिल से सराहना करने लगते हैं। खिलाड़ियों ने माना कि उन्हें भी कतई विश्वास नहीं था कि बिहार में विश्वस्तरीय कोर्ट पर उन्हें खेलने का मौका मिलेगा। कुछ ऐसा ही एहसास झारखंड टीम और उसके कोच को भी है। सुबह में इसी कोर्ट पर बिहार पुलिस और झारखंड पुलिस के बास्केटबाल के संयुक्ताभ्यास के दौरान झारखंड  के बास्केटबाल टीम के कोच जे राघवेन्द्र जो खुद बास्केटबाल के राष्टÑीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं ,  कोर्ट की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कोर्ट विश्वस्तर का है। उन्होंने भी बिहार की मेजबानी और आतिथ्य सत्कार की प्रशंसा करते हुए कहा कि अतिथि खिलाड़ियों की सुविधा का बेहतर ख्याल रखा जा रहा है। बाहरी खिलाड़ी भी बिहार के बदलते स्वरुप से काफी प्रभावित नजर आए। किसी भी राज्य की टीम अभ्यास के लिए बीएमपी ग्राउंड पहुच रही है बिहार पुलिस और बीएमपी के जवान उसकी सुविधा और सहुलियत का पूरा ध्यान रख रहे हैं। स्थिति यह है कि खिलाड़ियों के विश्राम स्थल पर सुबह ही बसें भेज दी जाती हैं ताकि वे अभ्यास के लिए ग्राउंड में आ सके। इसके लिए पुलिस विभाग ने दर्जनों प्राइवेट बस भाड़े पर लिए हैं। बिहार को मेजबानी के लिए मिले इस मौके में ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन भी साथ दे रहा है। आयोजन समिति के अध्यक्ष सह राज्य के डीजीपी अभ्यानंद ने बताया कि आयोजन समिति के पदाधिकारियों की एक बैठक पूर्व में ही एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ हुई थी,  जिसमें उनसे यह आग्रह किया गया था कि जिस किराये पर वह चुनाव में अपनी गाड़ियां देते हैं उसी दर पर वह इस खेल के आयोजन में भी अपनी गाड़िया दें , जिसे ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सहर्ष स्वीकार तो किया ही जरूरत पड़ने पर हर तरह से सहायता का भी आश्वासन दिया। बिहार पुलिस के आलाधिकारियों और आयोजन समिति को यह विश्वास है कि वर्षों बाद बिहार को मिले इस इस मौके को यादगार तो बनाएंगे ही इसे इस सफलतम मुकाम पर पहुंचाएंगे कि ऐसे मौके बिहार को बार-बार मिलते रहें। अगर बिहार इन खेलों की सफल मेजबानी कर सका तो संभव है आने वाले दिनों  उसे खेलों की सबसे बड़ी प्रतियोगिता आॅल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स मीट के भी आयोजन कराने की जिम्मेदारी सौंप दी जाए।

न्याय का दिखा दम, अपराध हुआ कम


न्याय का दिखा दम, अपराध हुआ कम

 

संजय उपाध्याय | फरवरी 3, 2012 18:30
 
लोग इसे बिहार का 'स्वर्णद्वीप' भी कहते हैं. यहां के करीब 75 हजार लोग खाड़ी देशों में रह कर हर महीने करोड़ों रूपये भेजते हैं. यहां की मनी आर्डर अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत है कि निजी छोड़ कर अकेले लीड बैंक के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों में 3,600 करोड़ रूपये जमा हैं. यहां एडिडास के सफेद जूते पहने और महंगी बाइक पर सवार युवक आमतौर पर दिख जाते हैं. लालू-राबड़ी शासन काल में यहां किसी लोकतांत्रिक सरकार का नहीं, बल्कि यहां के बाहुबली सांसद रहे शहाबुद्दीन का सिक्का चलता था. कुछ साल पहले सीवान एक खौफनाक जगह थी, जहां दिनदहाड़े हत्या, अपहरण आम था. तेजतर्रार आईपीएस-आईएएस अधिकारियों को भी वहां के सांसद रहे शहाबुद्दीन के साथ समझौता करके रहना पड़ता था. पर, वे दिन अब नहीं रहे. 2005 में चुनाव आयोग की सख्ती और 2006 में स्पीडी ट्रायल की शुरुआत से ही बिहार की राजनीतिक-सामाजिक फिजा बदलने लगी थी. फिलहाल, शहाबुद्दीन सीवान जेल में ही सलाखों के पीछे हैं. अब, वहां 'शहाबु' या 'साहेब' की नहीं, कानून की चलती है. दिन क्या...रात में भी लोग वहां अब बेधड़क घूमते नजर आ जाते हैं. 

अकेले शहाबुद्दीन ही बदल रहे बिहार के नजीर नहीं हैं. अलग-अलग जगह के क्षत्रप, जो सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था को ही हाईजैक कर चुनाव की हवा को अपने पक्ष में कर लेते थे-वे भी सलाखों के पीछे हैं. उदाहरण के तौर पर अपराध के घोड़े पर सवार सतीश पांडेय (गोपालगंज), राजन तिवारी (चंपारण), मुन्ना शुक्ला (तिरहुत), आनंद मोहन (सहरसा),पप्पू यादव (पूर्णिया-सहरसा) तथा बिंदु सिंह (जहानाबाद) के जमाने लद गए, जब वे अपराध को अंजाम दे-दिलाकर कानून की लंबी-जटिल प्रक्रिया का लाभ उठाते हुए जमानत लेकर बाहर या वारंट लेकर जेल के भीतर स्टेट गेस्ट का मजा लेते रहते थे. आलम यह है कि स्पीडी ट्रायल के तहत करीब 65 हजार अभियुक्त सलाखों के पीछे हैं. 

गंडक के दुर्गम दियारे से लेकर चंपारण के घने जंगल यानी बिहार के मिनी चंबल के डाकुओं को 80 से 90 के दशक में सत्ता के गलियारे में भी घूमता देखा जाता था. दिन-दहाड़े लोगों को उठा लेना और फिरौती वसूलने का काम इनका जंगल उद्योग बना हुआ था. डकैतों के इन गिरोहों में सबसे खतरनाक सरगना वासुदेव यादव के खिलाफ यूपी, बिहार और नेपाल में दर्जनों अपराध दर्ज थे और पुलिस उसे पकडऩे में नाकाम. करीब तीन दशकों की फरारी के दौरान उसने संवाददाता को बताया था कि पुलिस के आला हुक्मरान तक उससे अपराधी को पकडऩे के लिए मदद की गुहार लगाते हैं. 

फिलहाल, वह आत्मसमर्पण कर बेतिया जेल में है. उसके साथ, भांगड़ यादव, सतन यादव और रासबिहारी यादव भी वहीं खिचड़ी खा रहे हैं. सूबे के पुलिस महानिदेशक बनने से कई वर्षों पूर्व चंपारण में दस्यु उन्मूलन अभियान की लगाम थामे अभयानंद ने बताया कि 'पहले सजा देने की प्रक्रिया धीमी थी. स्पीडी ट्रायल, स्पेशल कोर्ट व फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से लंबित पड़े मामलों की सुनवाई की गई. इनमें स्पीडी ट्रायल की भूमिका अहम है. जनवरी, 2006 से दिसंबर, 2011 तक 65 हजार से भी अधिक अभियुक्त सलाखों के पीछे हैं. करीब 150 को तो फांसी की सजा सुना दी गई है.' 

दिलचस्प यह है कि मोटरसाइकिल लूट के एक मामले में पुलिस और स्पीडी ट्रायल ने इतना तेज काम किया कि जनवरी, 2012 में अपराध घटने के महज 10 दिनों में ही सजा सुनाकर देश में एक मिसाल पेश की है. 12 जनवरी को तीन लुटेरे पिस्तौल और देसी रिवॉल्वर के साथ मोटरसाइकिल लूटते पकड़े गए, 14 जनवरी को पुलिस ने चार्जशीट जमाकर स्पीडी ट्रायल के लिए कोर्ट से गुहार लगाई. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दैनिक स्तर पर मामले की सुनवाई करते हुए 23 जनवरी को तीन वर्षों तक सश्रम कारावास की सजा सुना दी. 

हाल के दिनों में स्पीडी ट्रायल नतीजों से उत्साहित पुलिस महानिदेशक ने घोषणा की है कि अब तीन महीने के भीतर ही फैसला सुना दिया जाएगा. पुलिस अधिकारियों के अनुसार जूनियर अफसरों द्वारा की गई जांच-पड़ताल के कार्यों की वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर की जा रही मासिक समीक्षा और विजिलेंस के भय से भी अपराध निरोधी माहौल तैयार हुआ है. लोगों में जागृति भी आई है. अपराध होने पर लोगों का आक्रोश सड़कों पर भी दिखने लगता है. नतीजा, निचले स्तर पर भी पुलिस सख्त हुई है. स्पीडी ट्रायल में तो चश्मदीद अथवा गवाह को मुकरने का मौका तक नहीं मिलता.

पहले गवाह को रूपये-पैसों का लालच अथवा डरा-धमकाकर मुकरने के लिए बाध्य कर दिया जाता था. सीवान के आरक्षी अधीक्षक अमृत राज कहते हैं, 'अपराध के खिलाफ त्वरित कार्रवाई  हो रही है.' हालांकि, अब भी जर्मनी से अधिक जनसंख्या वाला बिहार बाढ़, नक्सल व जातीय द्वेष से उबर नहीं सका है, लेकिन अपराध के मसले पर नकेल इस तरह कसी है कि, पलायन कर रहे व्यापारी लौटने लगे हैं.

बहरहाल, अपराधियों को जेल से निकलने के बाद भी चैन नहीं मिलने वाला. 14 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने घोषणा की है कि सभी अपराधियों के कृत्यों को वेबसाइट पर डालते हुए उन्हें किसी तरह का लाइसेंस, पासपोर्ट तथा अन्य उन सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा, जो एक बोनाफाईड नागरिक को मिलता है, ताकि जेल से छूटने के बाद भी उन्हें अहसास होता रहे कि उन्होंने कभी अपराध किया था. मतलब, एक तरह का सामाजिक दंड. प्रथम चरण में 1,450 लोगों की सूची बिहार सरकार ने वेबसाइट पर जारी कर दी है. जल्द ही अन्य लोगों सूची को भी साइट पर जल्द डाल दिया जाएगा. स्पीडी ट्रायल के बाद अपराध नियंत्रण के मामले में यह अपने किस्म की एक अलग ही पद्धति है.

Wednesday, February 1, 2012

Bihar to frame policy for police jobs to sportspersons: Nitish

Patna, Feb 1 (PTI) Bihar government will formulate a policy to provide jobs to sportspersons with distinguished achievements in the police department, Chief Minister Nitish Kumar said today. The recruitment would be made in the ranks ranging from constable to the DSP, Kumar said after inaugurating the 60th All India Police Volleyball (Cluster) Championship at the BMP premises here. The government was also considering a proposal to give out-of-turn promotion to policemen who shine in sporting events at the national and international level, he said. Stating that the state government was committed to promote sports at the grassroot level, Kumar said all required infrastructure would be put in place for that. The Chief Minister directed the DGP, Abhayanand, to devise a schedule to hold state level sports meet for the police personnel every year. A few years ago the state was known for lawlessness, he said and lauded the police department for helping transform Bihar to a "peaceful and law abiding" state. The chief minister said the growth in the inflow of tourists in Bihar could be attributed to the changed perception of the state as a law abiding and peaceful place.

Tuesday, January 31, 2012

'इसी तरह बढ़ता रहे मेरा गौरव, यही है कामना'


मैं चिताप खुर्द गांव हूं। प्रखंड मुख्यालय आमस से 15 किलोमीटर एवं अनुमंडल मुख्यालय शरेघाटी से 5 किलोमीटर दूर मोरहर नदी के तट पर बसा हूं। करीब 300 वर्ष पहले मेरी बंजर भूमि पर लोगों का निवास शुरू हुआ था। मेरा नाम बहुत कम लोग जानते थे, जिससे मेरे दिल में एक टीस उठती रहती थी। सोचता था इस भूमि पर कोई ऐसा व्यक्ति पैदा हो, जो मेरे नाम को रोशन कर सके। जब सन 1985 में जगतानंद सिंह को बिहार का डीजीपी बनाया गया, तो मैं उस दिन कितना खुश था, बयां नहीं कर सकता। जगतानंद मेरे ही यहां जन्मे और यहीं से शिक्षा प्राप्त किये। वर्ष 2011 में सरकार ने इसी चिताप खुर्द में जन्मे श्री अभयानंद को बिहार का नया डीजीपी बनाया। दोनों पिता-पुत्र की इस उपलब्धि पर मुझे खुशी होती है। आज मैं बहुत खुश हूं कि मेरे गांव में जन्मे दो व्यक्ति डीजीपी जैसे शीर्ष पद को पाने में सफल हुए। मुझे अपने सभी कामयाब बेटों पर बेहद गर्व है।
मेरा नाम चिताप खुर्द क्यों रखा गया? इसकी जानकारी आज ढेर सारे लोगों को नहीं है। पर, मुझे लगता है कि मेरा नाम चिताप खुर्द इसलिए रखा गया, क्योंकि मेरे सामने नदी के पार वाले गांव का नाम चिताप कला है, जो शेरघाटी प्रखंड में है। मेरी बंजर भूमि पर सबसे पहले, जो अब महादलित के नाम से जाने जाते हैं, उन्हीं लोगों ने निवास शुरू किया था। फिर, कुछ मुस्लिम लोगों ने भी अपना बसेरा मेरे यहां बनाया। लेकिन, आज से करीब 40 वर्ष पहले यहां रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग स्वेच्छा से शेरघाटी प्रखंड में बारहुसैनगंज में जाकर बस गए। फिलवक्त मेरे यहां एक भी मुस्लिम नहीं रहते हैं। वर्तमान में यहां 60 घर भूमिहार, 225 घर महादलित, 50 घर मल्लाह, 4 घर कहार, 7 घर ठाकुर एवं 2 घर यादव जाति के लोग जीवन गुजार रहे हैं। मेरे यहां की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस गांव के 30 लोग इंजीनियर, 5 डाक्टर, 8 प्रोफेसर, 20 अधिवक्ता हैं। आमस के प्रखंड प्रमुख अजय सिंह इसी चिताप खुर्द के निवासी हैं। बुजुर्ग सूर्यनारायण सिंह, अरविंद कुमार सिंह, वार्ड सदस्य चुन्नु सिंह इठलाते हैं कि उनका गांव अभयानंद की ईमानदारी को लेकर चर्चित हुआ है। अभयानंद के भाई अजयानंद, दिल्ली में रेलवे विभाग में डीजीएम के पद पर कार्यरत हैं, वहीं इस गांव के प्रशांत भूषण, भागलपुर में इन्कम टैक्स कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। इंदूभूषण प्रसाद सिंह भागलपुर से एडीएम पद एवं कामेश्वर सिंह एडीएम पटना से रिटायर्ड हुए। मैं बिहार के वर्तमान डीजीपी अभयानंद के पिता जगतानंद से इतना खुश हूं कि गांव में बने उनके स्मृति चिह्न पर रोज शत्-शत् नमन करता हूं। साथ ही यह कामना करता हूं कि उनकी तरह और भी लोग विभिन्न शीर्ष पदों पर आसीन होकर मेरे गौरव को बढ़ाते रहें।
अपने पिता को श्रधांजली देते हुए - श्री अभयानंद , पुलिस प्रमुख , बिहार 
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आंकड़ों की नजर में चिताप खुर्द
गांव की आबादी 53 हजार
विद्यालय -1
स्वास्थ्य उप केन्द्र 1
आंगनबाड़ी केन्द्र 2
डाकघर- 1
प्रस्तुति- अनवर हुसैन सोनी

Tuesday, January 24, 2012

DGP reviews Police Games preparations


PATNA: Bihar DGP Abhayanand on Monday reviewed preparations for the All India Police Games to be held from February 1 to 5 atMithilesh Stadium here. The mascot for the games is 'dolphin'.
Speaking on the occasion, Abhayanand said that Bihar had been given a cluster of games which include volleyball, handball, kabaddi and basketball, to be organized at the ensuing 60th All India Police Games. About 28 teams would be participating in the games. While the exact number of participants in the games would be 1,597, the number of technical officials and referees would be 103, he said.
Expressing satisfaction on the preparations being made for the games, the DGP said a comprehensive plan has been worked out to hold the games successfully here. "It is a proud moment for Bihar police to organize such a historic event at this stadium," he said.

28 states to take part in 60th All India Police Volleyball

Patna, Jan 23 (PTI) Altogether 28 states will participate in the 60th All India Police Volleyball (Cluster) Championship, 2012 to be held in Bihar from February 1 next. Altogether 1597 players from 28 states will take part in the five-day tournament from February 1-5, 2012 being held to coincide with the centenary celebration of the foundation of the Bihar, Director General of Police (DGP) Abhayanand told reporters here. The chief minister Nitish Kumar will inaugurate the national volleyball championship for the police at the BMP ground on February 1 next, he said. The policemen from across the country will also participate in other disciplines like Basketball, Handball, Kabaddi besides Volleyball, Abhayanand said. 

स्पीडी ट्रायल तीन महीने में पूरा करने का लक्ष्य


पटना, जागरण ब्यूरो : स्पीडी ट्रायल के तहत अपराधियों को सजा दिलाये जाने के मामले को दो-तीन महीने में निपटाने के लक्ष्य पर पुलिस ने काम शुरू कर दिया है। डीजीपी अभयानंद ने बताया कि आने वाले महीने में दर्जनों ऐसे मामले आने हैं जिसमें अपराधियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया दो-ढाई महीने में ही पूरी होगी।
उन्होंने बताया कि आरक्षी अधीक्षकों को विशेष रूप से इस तकनीक के बारे में बताया गया है कि किस तरह से ट्रायल की पूरी प्रक्रिया दो-तीन माह के भीतर पूरी की जाये। संवेदनशील मामलों के साथ-साथ विशेष प्रतिवेदित कांडों में विशेष रूप से ध्यान दिया जाना है। सरकारी वकीलों को भी समन्वय बनाने का निर्देश है।
पिछले वर्ष नौ सितंबर को लखीसराय के सूर्यगढ़ा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी वीरेंद्र कुमार मिश्रा को गोली मार दी गयी थी। पुलिस ने वरुण कुमार नाम के अपराधी को भागते समय पकड़ लिया था। वह हथियार भी बरामद कर लिया था जिससे चिकित्सक को गोली मारी गयी थी। कांड में छह दिन के अंदर चार्जफ्रेम कर लिया था। इस कांड में चार माह में ही फैसला आ गया है। अपराधी को दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गयी है।

Sunday, January 22, 2012

Register Your Complain Here


Fight Against Corruption


Govt Initiative

साभार : हिंदुस्तान दैनिक , पटना संस्करण - खबर को विस्तार से पढ़ने के लिये क्लिक करें 


Saturday, January 14, 2012

Police mull setting up 'safe houses'


PATNA: Police headquarters is planning to set up 'safe house' in each district to keep witnesses of a case, coming from outside districts, so that they could be kept at a secured place.
With the state police making much headway in speedy trial, the movement of witnesses has also increased considerably. A sub-inspector or ASI or for that matter an inspector who files chargesheet in a case, which he investigated, would take witness(es) in their custody as it becomes his duty to produce witnesses in a court. Since there is no facility at the disposal of the police at thana level, the SI or ASI concerned take witness either to his house or at an unsecured place. To prevent the escape of the witness, most of the time the junior police official cuffs his hand with that of the witness with a chain so that the latter may not escape.
DGP Abhayanand said for police it has become a very pathetic state of affairs. He said with the provision of a safe house, the junior police officers at least can have a place to keep witnesses or for that matter an accused at a safe place.
Since it would not be possible for the police headquarters to go in for construction of such a safe house, the DGP is exploring the rule whether he is empowered to take a private house for such a purpose on rent or government's nod is mandatory as finance
is involved in the matter. "Once things get cleared, police will have a safe house in each district," Abhayanand said.

Sunday, January 8, 2012

हौले हौले बोल चाय भी पिलाएगी पुलिस


दैनिक जागरण , पटना संस्करण अपने रविवार विशेष में लिखते हैं :-
हौले-हौले बोल चाय भी पिलाएगी पुलिस
 भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना :
 खाकी वर्दी को रौब और हनक के लिए जाना जाता है। लेकिन अगर वह आपसे बेहद नरम अंदाज में बात करे,
 यूं कहें कि हौले-हौले बात करते हुए आपको चाय पिलाने पास की दुकान पर ले जाए, फिर साथ में बिस्कुट भी 
लेने का आग्रह करे और चाय-बिस्किट का पैसा भी अपनी जेब से दे तो सच में हैरान करने वाली बात होगी। 
पुलिस महकमा प्रयोग के तौर पर यह काम शुरू करने जा रहा है। 50 के करीब पहुंच चुके पुलिसकर्मियों को
 विशेष रूप से इस प्रयोग के लिए चिह्नित किया जा रहा है। एक सरकारी महकमे के माध्यम से उन्हें 
मधुर व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। विहेवियर ट्रेनिंग का यह काम जल्द ही शुरू होना है।
 डीजीपी अभयानंद कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर उग्र भीड़ से निपटने के लिए लाठी चार्ज या फिर जैसे को तैसा
 वाली पुलिसिया कार्रवाई हमेशा कारगर नहीं होती है। पुलिस के जवानों को बारगेनिंग स्किल भी आनी चाहिए। 
हंगामे पर आमदा भीड़ से किस तरह से बात की जाए, इसका प्रशिक्षण भी इस कार्यक्रम के तहत पुलिसकर्मियों 
को दिया जाएगा। हर जगह पर इस तरह की एक यूनिट काम करेगी, जिसे लोगों से बात करने या फिर उन्हें 
समझाने-बुझाने में दक्षता हासिल रहेगी। अधिक उम्र के पुलिस के जवानों से सामान्य तौर पर विधि-व्यस्था का काम
 लेना संभव नहीं हो पाता है। इसी श्रेणी के पुलिसकर्मियों को व्यवहार प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा।
 उन्हें सुबह-शाम संबंधित इलाके में लोगों के घर जाने, मुहल्ले में घूमने और उनसे अच्छे ढंग से बात कर हर रोज
 अपनी रिपोर्ट थाने में देने की जवाबदेही दी जाएगी। इस अभ्यास से थाने का अपना आसूचना तंत्र भी सुदृढ़ होगा।
 महिला पुलिसकर्मियों को भी इस तरह की ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। पुलिस मुख्यालय अपने वृद्ध जवानों को यह ट्रेनिंग
 सरकारी महकमे के माध्यम से ही दिलाएगा। भारतीय पुलिस सेवा के ही एक अधिकारी, जो फिलहाल मानव संसाधन
 मंत्रालय के अधीन कार्यरत हैं, की देख-रेख में इस तरह के प्रशिक्षण के कैप्स्यूल विकसित किए गए हैं। 
पुलिस की योजना है कि जवानों का यह विंग सिर्फ इसी तरह के काम करे। इसके अतिरिक्त जवानों की एक यूनिट 
ऐसी भी तैयार की जाएगी, जिसे सिर्फ बड़े-बड़े पुलिस अभियानों में लगाया जा सकेगा। अभियान में जिस तरह की 
सक्रियता रहेगी, उसका उन्हें खास प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं जवानों का एक विंग को छोटे-मोटे दंगा फसाद से 
जूझने के लिए तैयार किया जाएगा। पुलिस अभी प्रयोग के तौर पर इसे आरंभ करेगी।




Friday, January 6, 2012

सरपंच की पिटाई पर सजा मिलेगी

ग्राम कचहरी भादवि की धारा 107 के तहत एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगा सकेगा 1 डीजीपी ने सभी आइजी, डीआइजी व पुलिस अधीक्षकों को भेजी अधिसूचना 1 कारावास की सजा देने का कोई अधिकार नहीं ग्राम कचहरी की न्यायपीठ के निर्णय के खिलाफ तीस दिनों के भीतर ग्राम कचहरी की पूर्ण पीठ के समक्ष अपील दायर किए जाने का प्रावधान धारा 112 के तहत है। पूर्ण पीठ की सुनवाई सात पंचों के द्वारा की जायेगी। जिन सिविल मामलों में ग्राम कचहरी को है सुनवाई का अधिकार- सिविल अधिकारिता के तहत धारा-110 के अनुसार दस हजार रुपये से कम संपत्ति, लगान की वसूली, चल संपत्ति को क्षति पहुंचाने, पशु अत्याचार व बंटवारा से संबंधित मामलों को ग्राम कचहरी में सुना जा सकेगा। भारतीय दंड संहिता के तहत इन धाराओं के तहत ग्राम कचहरी को है सुनवाई का अधिकार- 140, 142, 143, 145, 147, 151, 153,160, 172, 174,178, 179, 269, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294, 294 (ए), 332, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 374, 403, 426, 428, 430, 447, 448, 502, 504, 506 व 510. फैसले से क्षुब्ध हो सरपंच को पीटा तो दर्ज होगा विशेष कांड पटना, जागरण ब्यूरो : पुलिस मुख्यालय ने ग्राम कचहरी के क्षेत्राधिकार में पड़ने वाले आपराधिक व सिविल वाद से संबंधित मामलों को सीधे थाने से सरपंच तक भेजे जाने की राह आसन बना दी है। इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गयी है। डीजीपी अभयानंद ने बताया कि इस बारे में सभी प्रक्षेत्रीय आइजी, डीआइजी व पुलिस अधीक्षकों को आदेश भी जारी कर दिया गया है। पुलिस मुख्यालय ने फैसला सुनाने वाले सरपंचों की सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा ख्याल रखा है। डीजीपी अभयानंद ने कहा कि ऐसे दृष्टांत सामने आते रहे हैं कि ग्राम कचहरी व सरपंच द्वारा जब अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग किया जाता है तो फैसले की परिधि में आने वाला क्षुब्ध व्यक्ति सरपंच के विरुद्ध ही आपराधिक मामला दर्ज करा देते हैं। कई बार सरपंच पर हमला भी हो जाता है। पुलिस मुख्यालय द्वारा इस बाबत जारी अधिसूचना में इस बात का प्रावधान किया गया है कि ऐसे मामले में हमला करने वाले व्यक्ति पर जो कांड दर्ज हो उन्हें विशेष प्रतिवेदित कांड में शामिल कर लिया जाये। प्राथमिकता के आधार पर पुलिस अधीक्षक के स्तर पर उसका पर्यवेक्षण होगा। थानेदारों के लिए यह प्रावधान है कि धारा 113 के तहत वह ग्राम कचहरी से संबंधित मामलों को वहां भेजेंगे। न्यायालय के स्तर से भी ग्राम कचहरी को मामले भेजे जा सकेंगे। अगर किसी न्यायालय को ऐसा प्रतीत होता है कि मामला ग्राम कचहरी के स्तर पर विचारणीय है तो उक्त मामले को स्थानांतरित कर दिया जायेगा। धारा-115 के तहत न्यायालय स्वत: या सूचना प्राप्त होने पर ग्राम कचहरी द्वारा विचाराधीन मामले को वापस कर देगा।