Thursday, December 4, 2008

प्रतियोगिता से जवानों में आता निखार : अभयानंद


द्वारा : श्री सर्वेश उपाध्याय , बंगलौर !


डालमियानगर (रोहतास) बीएमपी (दो) के चांदीमारी प्वाइंट पर आयोजित तीन दिवसीय बिहार राज्य शूटिंग प्रतियोगिता बुधवार को सम्पन्न हो गयी। समापन समारोह में मुख्य अतिथि एडीजी (सैन्य पुलिस) अभ्यानंद ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएं समय-समय पर जिला व राज्य स्तर पर की जानी चाहिए। यहां के समादेष्टा ने कम समय में शूटिंग प्रतियोगिता का बेहतर आयोजन कराया है। इसके लिए वे बधाई के पात्र है। इस तरह प्रतियोगिता से जवानों में निखार आता है। प्रतियोगिता में सफल प्रतियोगियों को शील्ड प्रदान किया। शूटिंग का प्रथम पुरस्कार सैन्य पुलिस प्रक्षेत्र (739 प्वाइंट) को तथा द्वितीय मुजफ्फरपुर और पटना प्रक्षेत्र को संयुक्त रूप से दिया गया। वहीं पिस्टल व रिवाल्वर में 460 प्वाइंट पाने वाले सैन्य पुलिस प्रक्षेत्र को प्रथम तथा पटना प्रक्षेत्र को उप विजेता का शील्ड प्रदान किया गया। इसी के लिए हवलदार दीनानाथ राम को व्यक्तिगत स्पद्र्धा का शील्ड देकर सम्मानित किया गया। राइफल शूटिंग में 279 प्वाइंट हासिल किये सैन्य पुलिस प्रक्षेत्र को प्रथम तथा मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र को उप विजेता का शील्ड दिया गया। समापन की घोषणा समादेष्टा एस.के. सिन्हा ने की।

भार

Tuesday, December 2, 2008

फैक्ट व व्यूज को न मिलायें: अभयानंद

साभार : दैनिक जागरण , इन्टरनेट संस्करण


फैक्ट व व्यूज को न मिलायें: अभयानंद
Nov 18, 11:06 pm
पटना आज मीडिया का दायरा काफी बढ़ा है। साथ ही उसकी जिम्मेदारियां भी। मीडिया को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि केवल फैक्ट ही जनता तक पहुंचे। उसमें व्यूज का समावेश न हो। पाठक को यह छूट मिलनी चाहिये कि वह सार संदर्भ खुद निकाले। यह विचार चर्चित पुलिस अधिकारी अभयानंद ने व्यक्त की। वे मंगलवार को स्थानीय तारामंडल सभागार में सिम्बायोसिस इंस्टीच्यूट आफ मीडिया एंड कम्युनिकेशन (एसआईएमसी)की तरफ से आयोजित कार्यक्रम फुटप्रिंट 08 को संबोधित कर रहे थे।
अभयानंद ने कहा कि एक जमाना वह भी था, जब खबरें आम लोगों तक छन कर पहुंचा करती थी। बीच में सेंसरशिप का भी दौर आया। लेकिन उस समय सूचनाओं के लिए जद्दोजहद नहीं थी। बाद में पब्लिक फिगर के न चाहते हुए भी खबरें लोगों तक पहुंचने लगीं। अब आम लोगों में भी फैक्ट जानने की चाह जगी है। जिससे मीडिया का रोल भी बढ़ा है। लेकिन मीडिया को हमेशा अपनी शक्ति का सकारात्मक पक्ष ही सामने लाना चाहिये।
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए राज्य सरकार के मंत्री डा. अनिल कुमार ने कहा कि बिहार बंटवारे के बाद भी हमारे मेधा का बंटवारा नहीं हुआ। पत्रकारिता की पढ़ाई के क्षेत्र में भले ही बिहार अभी पिछड़ा है, लेकिन यहां की प्रतिभाओं ने पूरे देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में झंडा बुलंद किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन का वायस मीडिया ही बनता है। तकनीकी शिक्षा के विकास व बिहारी छात्रों के पलायन को रोकने के लिए पिछले तीन वर्षो में बिहार सरकार के प्रयासों से निजी व सरकारी क्षेत्र के एक दर्जन इंजीनियरिंग कालेज खुले हैं। जबकि शासन संभालने से पूर्व यहां मात्र दो इंजीनियरिंग कालेज ही थे। डा. कुमार ने एसआईएमसी से बिहार में पत्रकारिता की पढ़ाई शुरु करने के लिए संस्थान खोलने की अपील की।
इससे पूर्व एसआईएमसी के डीन प्रो.उज्जवल चौधरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए समय के साथ मीडिया की बदलती भूमिका पर चर्चा की। श्री चौधरी ने महाराष्ट्र में चल रहे क्षेत्रवादी आंदोलन की तीव्र निंदा करते हुए बताया कि उनकी संस्थान में पढ़ने वाले हर बिहारी छात्र की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। मौके पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी व फिल्म निर्देशक त्रिपुरारी शरण, अनिल सुलभ, विज्ञापन जगत के खुर्शीद आलम आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सुमित, अहिंसा, प्रिया, अर्चना, तनुश्री, तान्या, राहुल आदि को सम्मानित किया गया।