नवभारत टाईम्स - इंटरनेट संस्करण लिखते हैं -
पटना।। हाल के दिनों में बिहार में जनता और पुलिस के बीच हुए टकराव के मामलों में पुलिस की ' बदनामी ' हुई है। पुलिस ने इस तरह की ' बदनामी ' से बचने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है। बिहार पुलिस अब उपद्रवियों से निपटने के लिए डंडे का इस्तेमाल नहीं करेगी बल्कि उन्हें 'शूट' करेगी। यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन डीजीपी अभयानंद ने राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को उपद्रवियों से निपटने के लिए उन्हें 'शूट' करने का आदेश दिया है। यहां पर 'शूट' से मतलब उनको गोली मारने से नहीं बल्कि विडियो बनाने से है।
नए तरीके के तहत पुलिस अब भीड़ से निपटने के लिए लाठी और बंदूक ले जाने की बजाए कैमरा लेकर जाएगी।
अभयानंद ने मंगलवार को बताया कि कैमरे की मदद से उपद्रवियों की हरकतों का विडियो बनाया जाएगा और बाद में इसी को साक्ष्य बनाकर उन उपद्रवियों को कोर्ट से सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि विडियो फुटेज देखकर पुलिस बदमाशों की भी पहचान कर सकेगी और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर सकेगी। इस तरह फास्ट सुनवाई के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि हमें संयम बरतने का निर्देश मिला है। इसमें सिर्फ एक लाइन लिखी है, 'शूट विद कैमरा नॉट विद वेपन।'
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इस तरकीब से दंगे, आगजनी और छोटी-छोटी बातों को लेकर होने वाले सड़क जाम जैसी स्थितियों से निपटने में अवश्य सहायता मिलेगी। जब उपद्रवियों को सजा मिलने लगेगी तो ऐसे मामलों पर रोक लगाया जा सकेगा। गौरतलब है कि बिहार पुलिस विडियो फुटेज देखकर पहले भी कई मामले निपटा चुकी है।
एक अन्य अधिकारी बताते हैं कि कानून में हुए संशोधन के तहत सबूत के तौर पर विडियो फुटेज का उपयोग किया जा सकता है। उनका कहना है कि फुटेज के आधार पर जनप्रतिनिधियों से मदद ली जाएगी जिससे सबूत जुटाने में पुलिस को और आसानी होगी।
पटना।। हाल के दिनों में बिहार में जनता और पुलिस के बीच हुए टकराव के मामलों में पुलिस की ' बदनामी ' हुई है। पुलिस ने इस तरह की ' बदनामी ' से बचने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है। बिहार पुलिस अब उपद्रवियों से निपटने के लिए डंडे का इस्तेमाल नहीं करेगी बल्कि उन्हें 'शूट' करेगी। यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन डीजीपी अभयानंद ने राज्य के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को उपद्रवियों से निपटने के लिए उन्हें 'शूट' करने का आदेश दिया है। यहां पर 'शूट' से मतलब उनको गोली मारने से नहीं बल्कि विडियो बनाने से है।
नए तरीके के तहत पुलिस अब भीड़ से निपटने के लिए लाठी और बंदूक ले जाने की बजाए कैमरा लेकर जाएगी।
अभयानंद ने मंगलवार को बताया कि कैमरे की मदद से उपद्रवियों की हरकतों का विडियो बनाया जाएगा और बाद में इसी को साक्ष्य बनाकर उन उपद्रवियों को कोर्ट से सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि विडियो फुटेज देखकर पुलिस बदमाशों की भी पहचान कर सकेगी और उनके खिलाफ मामला दर्ज कर सकेगी। इस तरह फास्ट सुनवाई के जरिए अपराधियों को सजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि हमें संयम बरतने का निर्देश मिला है। इसमें सिर्फ एक लाइन लिखी है, 'शूट विद कैमरा नॉट विद वेपन।'
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि इस तरकीब से दंगे, आगजनी और छोटी-छोटी बातों को लेकर होने वाले सड़क जाम जैसी स्थितियों से निपटने में अवश्य सहायता मिलेगी। जब उपद्रवियों को सजा मिलने लगेगी तो ऐसे मामलों पर रोक लगाया जा सकेगा। गौरतलब है कि बिहार पुलिस विडियो फुटेज देखकर पहले भी कई मामले निपटा चुकी है।
एक अन्य अधिकारी बताते हैं कि कानून में हुए संशोधन के तहत सबूत के तौर पर विडियो फुटेज का उपयोग किया जा सकता है। उनका कहना है कि फुटेज के आधार पर जनप्रतिनिधियों से मदद ली जाएगी जिससे सबूत जुटाने में पुलिस को और आसानी होगी।
उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में अररिया के फारबिसगंज और नालंदा में उपद्रवियों से निपटने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इन घटनाओं के बाद जहां बिहार पुलिस को चारों तरफ आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा वहीं सरकार को भी फजीहत झेलनी पड़ी थी। इसके अलावा भीड़ द्वारा भी कानून को हाथ में लेने से पुलिस को परेशानी होती रही है, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाती है।
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