Sunday, January 8, 2012

हौले हौले बोल चाय भी पिलाएगी पुलिस


दैनिक जागरण , पटना संस्करण अपने रविवार विशेष में लिखते हैं :-
हौले-हौले बोल चाय भी पिलाएगी पुलिस
 भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना :
 खाकी वर्दी को रौब और हनक के लिए जाना जाता है। लेकिन अगर वह आपसे बेहद नरम अंदाज में बात करे,
 यूं कहें कि हौले-हौले बात करते हुए आपको चाय पिलाने पास की दुकान पर ले जाए, फिर साथ में बिस्कुट भी 
लेने का आग्रह करे और चाय-बिस्किट का पैसा भी अपनी जेब से दे तो सच में हैरान करने वाली बात होगी। 
पुलिस महकमा प्रयोग के तौर पर यह काम शुरू करने जा रहा है। 50 के करीब पहुंच चुके पुलिसकर्मियों को
 विशेष रूप से इस प्रयोग के लिए चिह्नित किया जा रहा है। एक सरकारी महकमे के माध्यम से उन्हें 
मधुर व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। विहेवियर ट्रेनिंग का यह काम जल्द ही शुरू होना है।
 डीजीपी अभयानंद कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर उग्र भीड़ से निपटने के लिए लाठी चार्ज या फिर जैसे को तैसा
 वाली पुलिसिया कार्रवाई हमेशा कारगर नहीं होती है। पुलिस के जवानों को बारगेनिंग स्किल भी आनी चाहिए। 
हंगामे पर आमदा भीड़ से किस तरह से बात की जाए, इसका प्रशिक्षण भी इस कार्यक्रम के तहत पुलिसकर्मियों 
को दिया जाएगा। हर जगह पर इस तरह की एक यूनिट काम करेगी, जिसे लोगों से बात करने या फिर उन्हें 
समझाने-बुझाने में दक्षता हासिल रहेगी। अधिक उम्र के पुलिस के जवानों से सामान्य तौर पर विधि-व्यस्था का काम
 लेना संभव नहीं हो पाता है। इसी श्रेणी के पुलिसकर्मियों को व्यवहार प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा।
 उन्हें सुबह-शाम संबंधित इलाके में लोगों के घर जाने, मुहल्ले में घूमने और उनसे अच्छे ढंग से बात कर हर रोज
 अपनी रिपोर्ट थाने में देने की जवाबदेही दी जाएगी। इस अभ्यास से थाने का अपना आसूचना तंत्र भी सुदृढ़ होगा।
 महिला पुलिसकर्मियों को भी इस तरह की ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। पुलिस मुख्यालय अपने वृद्ध जवानों को यह ट्रेनिंग
 सरकारी महकमे के माध्यम से ही दिलाएगा। भारतीय पुलिस सेवा के ही एक अधिकारी, जो फिलहाल मानव संसाधन
 मंत्रालय के अधीन कार्यरत हैं, की देख-रेख में इस तरह के प्रशिक्षण के कैप्स्यूल विकसित किए गए हैं। 
पुलिस की योजना है कि जवानों का यह विंग सिर्फ इसी तरह के काम करे। इसके अतिरिक्त जवानों की एक यूनिट 
ऐसी भी तैयार की जाएगी, जिसे सिर्फ बड़े-बड़े पुलिस अभियानों में लगाया जा सकेगा। अभियान में जिस तरह की 
सक्रियता रहेगी, उसका उन्हें खास प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं जवानों का एक विंग को छोटे-मोटे दंगा फसाद से 
जूझने के लिए तैयार किया जाएगा। पुलिस अभी प्रयोग के तौर पर इसे आरंभ करेगी।