रविवार सुबह लगभग 9 बजे। उड़ीसा के खिलाड़ियों को लेकर एक बस बीएमपी-5 में पहुंचती है। बस से उतरते ही सभी खिलाड़ी नवनिर्मित विश्वस्तरीय बास्केटबाल कोर्ट की तरफ बढ़ते हैं। कोर्ट का निरीक्षण कर लौट रहे सीआरपीएफ की टीम से हमारी मुलाकात होती है। कोर्ट, बिहार की मेजबानी और व्यवस्था के संबंध में पूछने पर सीआरपीएफ का खिलाड़ी कहता है भाई पूछो मत ,आह! टीम के आगे चल रहे सीआरपीएफ के बास्केटबाल टीम के टीम मैनेजर संजय सिंह कहते हैं, अरे आह नहीं, वाह बिहार बोल यार! टीम मैनेजर के इतना कहते ही सीआरपीएफ के सभी खिलाड़ी बिहार पुलिस की मेजबानी, यहां के ग्राउंड, कोर्ट और व्यवस्था की तहे दिल से सराहना करने लगते हैं। खिलाड़ियों ने माना कि उन्हें भी कतई विश्वास नहीं था कि बिहार में विश्वस्तरीय कोर्ट पर उन्हें खेलने का मौका मिलेगा। कुछ ऐसा ही एहसास झारखंड टीम और उसके कोच को भी है। सुबह में इसी कोर्ट पर बिहार पुलिस और झारखंड पुलिस के बास्केटबाल के संयुक्ताभ्यास के दौरान झारखंड के बास्केटबाल टीम के कोच जे राघवेन्द्र जो खुद बास्केटबाल के राष्टÑीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं , कोर्ट की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कोर्ट विश्वस्तर का है। उन्होंने भी बिहार की मेजबानी और आतिथ्य सत्कार की प्रशंसा करते हुए कहा कि अतिथि खिलाड़ियों की सुविधा का बेहतर ख्याल रखा जा रहा है। बाहरी खिलाड़ी भी बिहार के बदलते स्वरुप से काफी प्रभावित नजर आए। किसी भी राज्य की टीम अभ्यास के लिए बीएमपी ग्राउंड पहुच रही है बिहार पुलिस और बीएमपी के जवान उसकी सुविधा और सहुलियत का पूरा ध्यान रख रहे हैं। स्थिति यह है कि खिलाड़ियों के विश्राम स्थल पर सुबह ही बसें भेज दी जाती हैं ताकि वे अभ्यास के लिए ग्राउंड में आ सके। इसके लिए पुलिस विभाग ने दर्जनों प्राइवेट बस भाड़े पर लिए हैं। बिहार को मेजबानी के लिए मिले इस मौके में ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन भी साथ दे रहा है। आयोजन समिति के अध्यक्ष सह राज्य के डीजीपी अभ्यानंद ने बताया कि आयोजन समिति के पदाधिकारियों की एक बैठक पूर्व में ही एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ हुई थी, जिसमें उनसे यह आग्रह किया गया था कि जिस किराये पर वह चुनाव में अपनी गाड़ियां देते हैं उसी दर पर वह इस खेल के आयोजन में भी अपनी गाड़िया दें , जिसे ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सहर्ष स्वीकार तो किया ही जरूरत पड़ने पर हर तरह से सहायता का भी आश्वासन दिया। बिहार पुलिस के आलाधिकारियों और आयोजन समिति को यह विश्वास है कि वर्षों बाद बिहार को मिले इस इस मौके को यादगार तो बनाएंगे ही इसे इस सफलतम मुकाम पर पहुंचाएंगे कि ऐसे मौके बिहार को बार-बार मिलते रहें। अगर बिहार इन खेलों की सफल मेजबानी कर सका तो संभव है आने वाले दिनों उसे खेलों की सबसे बड़ी प्रतियोगिता आॅल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स मीट के भी आयोजन कराने की जिम्मेदारी सौंप दी जाए।
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