दैनिक जागरण , पटना संस्करण लिखते हैं :
पटना, कार्यालय संवाददाता : समय बदल रहा है, हम भी बदलेंगे। समस्याएं हैं पर उनके समाधान के कदम भी उठाए जा रहे हैं। पुराने समय से चली आ रही व्यवस्था धीरे-धीरे ही ठीक होगी। पुलिस के सामने भी कई प्रकार की मजबूरी होती है। संविधान के अनुसार ही काम करना पड़ता है। पहले जांच कर लें, फिर एफआईआर लिखें, ऐसा संभव नहीं है। उक्त बातें डीजीपी अभ्यानंद ने शनिवार को कहीं। उन्होंने बिहार चैम्बर आफ कामर्स के सभागार में आयोजित बैठक में पहले व्यवसायी वर्ग की समस्याएं सुनीं और बाद में क्रमवार उनका जवाब दिया। बैठक में उद्यमी समुदाय की ओर से पुलिस महानिदेशक अभ्यानंद का स्वागत करते हुए कहा गया कि उनके कार्यभार ग्रहण करने के बाद से अपराध में जिस तेजी से गिरावट आई है, वह अपने आप में सुखद है। समाज में भयमुक्त वातावरण बना है। संगठित अपराध पर विराम लगा है। आज देश के उन राज्यों की श्रेणी में सूबे की गिनती तीसरे नंबर पर होती है, जहां अपराध दर काफी कम है। बैठक में प्रमुख रूप से ट्रैफिक की समस्या को रखते हुए कहा गया कि सीनियर अफसर से मिलते वक्त लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है, पर थाने आज भी पुरातन शैली में ही काम कर रहे हैं। व्यवहार देख थाने जाने पर भय लगता है। बैठक में उठी समस्याओं पर क्रमवार बोलते हुए डीजीपी अभ्यानंद ने बेतिया के एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि टेलीफोन पर मिली शिकायत के बाद 6 दिसंबर 11 को एफआईआर लिखी गयी और अब तक चार गवाही भी गुजर चुकी है। आप लोगों ने झूठे मुकदमे में फंसाने की जो बात कही है, उसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि शिकायत मिलने के बाद पहले जांच और फिर प्राथमिकी संभव नहीं है। झूठे मुकदमे में फंसाए जाने व्यक्ति को सताना नहीं चाहिए। हम इस दिशा में प्रयास भी कर रहे हैं। जब भी डीएसपी या एसपी जांच को जाएं, तो सबके सामने यह बात रख देनी चाहिए कि अमुक दोषी नहीं है। जहां तक ट्रैफिक जाम की बात है, उससे वे भी सहमत हैं। कभी-कभी उनको भी सोचना पड़ता है कि दिन के समय उस एरिया में जाएं या न जाएं। समस्या समाधान के लिए हम सबको मिल-बैठकर रास्ता निकालना होगा। बैठक में पुलिस महानिरीक्षक जेएस गंगवार, उपपुलिस महानिरीक्षक एस. रविन्द्रन, ग्रामीण एसपी मनोज कुमार, चैम्बर अध्यक्ष ओपी साह, उपाध्यक्ष शशिमोहन, पूर्व अध्यक्ष जुगेश्वर पांडेय, पीके अग्रवाल, निर्वाचित महासचिव संजय खेमका आदि ने विचार व्यक्त किये।