Wednesday, May 27, 2009

हाथ मिले तो बात बनी

पटना/गया, जागरण टीम : अगर समाज एकजुट हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता। इसका जीता जागता प्रमाण है मगध सुपर-30। एक व्यक्ति की ऊंची व सच्ची सोच को समाज का सहयोग मिला, जिसने 14 विद्यार्थियों की जिन्दगी की दिशा ही बदल डाली। मगध सुपर-30 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी अभयानंद का ब्रेन बेबी है। उन्होंने अपने इस विचार से इस संवाददाता को अवगत कराया। उन्होंने गया को अपनी प्रयोग भूमि के लिए चुना। पिछले साल 16 अगस्त को गया में मगध सुपर-30 की शुरूआत हुई। सेंट्रल बिहार चैंबर आफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष द्वय डा। कौशलेन्द्र प्रताप व डा. अनूप केडिया, समाजसेवी शिव राम डालमिया एवं लालजी प्रसाद मदद को आगे आये। शुरूआत में मगध के तत्कालीन डीआईजी प्रवीण वशिष्ठ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रवेश परीक्षा के लिए क्रेन मेमोरियल स्कूल के प्राचार्य फादर राज व मिर्जा गालिब कालेज के प्राचार्य डा. समदानी ने अपने विद्यालय परिसर को स्वेच्छा से इस्तेमाल को दिया। श्री डालमिया व वरिष्ठ चिकित्सक डा. ए.एन. राय ने भरोसा दिलाया कि बच्चों की शिक्षा में पैसा कभी बाधक नहीं बनेगा। स्वामी राघवाचार्य ने दंडीबाग मुहल्ले में बच्चों को रहने के लिए नि:शुल्क आवासीय परिसर उपलब्ध कराया। धीरे-धीरे मददगारों की संख्या बढ़ती गई। शुरुआत गीता कुमारी ने की। फिर राजू वर्णवाल, शिव अरुण डालमिया, राम अवतार धानुका, सुनील बरेलिया, धीरेन्द्र मुन्ना, हरि प्रसन्न उर्फ पप्पू, महारानी बस सर्विस के मुन्ना सिंह, एस.एस. भदानी, डा. अरविंद कुमार सिंह, अनिल स्वामी, गणेश सिंह, अजय कुमार शर्मा उर्फ युगल, नन्हे, डा. यू.एस. मिश्र, कमल नयन, श्याम भंडारी सहित कई मददगार सामने आये। वहीं विनय इंडेन सर्विस की मालकिन नीलम शरण ने रसोई गैस सिलेंडरों की आपूर्ति का जिम्मा उठाया। डा. ए.एन. राय, डा. पाण्डेय राजेश्र्वरी प्रसाद, डा. उमानाथ भदानी, डा. एस.एन. प्रसाद, डा. विजय जैन, डा. यशी शरण, डा. यू.एस. अरुण, डा. प्रमोद कुमार सिंह, डा. श्रीप्रकाश सिंह आदि ने एक-एक बच्चे पर आने वाले खर्च को वहन किया। बच्चों के लिए सप्ताह में कई प्रैक्टिस टेस्ट आयोजित किये गये। मगध सुपर 30 के बच्चों को रविवार को अपनी आंटी उषा डालमिया का इंतजार रहता था। आंटी उस दिन बच्चों के लिए ढेर सारी मिठाइयां लाती थीं। इन बच्चों के दिलों में अपनी प्यारी दीदी की यादें आज भी ताजा हैं। बच्चों की दीदी कोई और नहीं पटना की एसएसपी व गया की तत्कालीन एसपी आर.मल्लर विडि हैं। बात पिछले दिसम्बर की है। गया में शीतलहरी चल रही थी। बच्चे छात्रावास में भी सर्द हवाओं से परेशान थे। दीदी को इसकी भनक मिल गई। वे खुद बाजार गई, पालिथिन शीट ले छात्रावास पहुंची। इन बच्चों की सफलता के पीछे कई और लोगों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। मगध के तत्कालीन डीआईजी प्रवीण वशिष्ठ ने बच्चों को परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए गुरूमंत्र दिया। प्रमंडलीय आयुक्त डा. केपी रमैया व डीएम संजय कुमार सिंह ने भी कई बार बच्चों की हौसला अफजाई की। नवादा के तत्कालीन एसपी विनोद कुमार तथा चार आईपीएस दलजीत सिंह, सज्जु कुरूवेला, रंजीत मिश्र आदि ने दिसम्बर के आखिरी सप्ताह में अपना पूरा समय गया में इन बच्चों के साथ बिताया। 1995 बैच के आईपीएस रविन्द्रण शंकरण ने बच्चों को अध्यात्मिक व योग की शिक्षा दी।

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