Wednesday, May 27, 2009

आर्थिक दबावों को चीर मनवाया लोहा


पटना, जागरण प्रतिनिधि : ग्रामीण इलाके के मेधावी छात्रों ने आर्थिक दबावों को चीर एक बार फिर सभी को अपनी प्रतिभा का लोहा मानने पर मजबूर कर दिया है। ये वे छात्र हैं जिनकी हैसियत किसी प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के दरवाजे तक जाने की नहीं थी। एडीजी अभयानंद की दिखायी रोशनी में इन्होंने अपने लिये इंजीनियरिंग के सर्वाधिक प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी का दरवाजा खोल लिया है। सफल छात्रों में से अधिकांश को साल भर पहले सुपर थर्टी का पता तक नहीं था। जानकारी मिलने पर इन्होंने सुपर थर्टी के माध्यम से अपनी प्रतिभा आजमानी चाही और इसमें इन्हें शत प्रतिशत सफलता हासिल हुयी। इस पूरे सिलसिले में रोचक बात यह है कि एडीजी अभयानंद से इसी साल जुड़े रहमानिया फाउंडेशन के सभी दस अल्पसंख्यक छात्रों ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में अपना परचम लहराया है। बिहारशरीफ के मौलानाडीह के रहने वाले मोहम्मद के।आलम गांव में किराने की दुकान चलाते हैं। वे अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर खासे सतर्क और उनके दो बच्चे पहले से ही इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हैं। लेकिन अभी तक उनके गांव में किसी ने आईआईटी की परीक्षा में सफलता हासिल नहीं की थी। श्री आलम को अपने बेटे हसीब रजा पर फख्र है। उसने पूरे गांव का सपना पूरा कर दिया है। हसीब पांच भाई व तीन बहनों में वह सातवें स्थान पर है। दरभंगा के गरीब किसान परिवार के नकी इमाम ने कभी सपने भी आईआईटी में प्रवेश लेने की नहीं सोची थी। परंतु सुपर-30 के मार्गदर्शन में उसने यह मुकाम हासिल कर लिया है। गया में जूते की छोटी सी दुकान से परिवार की परवरिश करने वाले मो.रेयाजुद्दीन बेटे अकरम की सफलता से फूले नहीं समा रहे। सब्जीबाग के सादनान अनवर के पिता काफी पहले ही गुजर चुके थे। मां स्कूल में शिक्षिका हैं। किसी तरह उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाकर बड़ा किया था। उनके बेटे ने रहमानी सुपर-30 में दाखिला लिया और आज आईआईटी की परीक्षा में बेहतर स्थान लाकर सबको हैरत में डाल दिया। मोतिहारी के ढाका के रहने वाले अलीक अहमद ने भी आईआईटी में प्रवेश लेने वाले गांव के पहले छात्र का गौरव हासिल किया है। मोतिहारी से ही शाहबाज हैदर ने भी बाजी मारी है। विकलांग पिता की संतान साकिब मुस्तफा ने भी अपने पिता का नाम रोशन किया। रहमानी सुपर-30 के ही अलीशान मुस्तफा, मो.अवसार आलम एवं नजीम आलम ने भी आईआईटी परीक्षा में सफलता अर्जित की है। पिछले साल जुलाई में रहमानी इन्स्टीच्यूट की नींव रखने वाले मुंगेर खानकाह के पीर मौलाना वली रहमानी बच्चों की इस सफलता से खासे उत्सहित हैं। उन्होंने अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि इस सफलता में अभयानन्द जी के साथ-साथ तमाम शिक्षकों और रहमानी थर्टी से जुड़े तमाम लोगों का बड़ा योगदान है।


साभार : दैनिक जागरण , पटना

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