मैं चिताप खुर्द गांव हूं। प्रखंड मुख्यालय आमस से 15 किलोमीटर एवं अनुमंडल मुख्यालय शरेघाटी से 5 किलोमीटर दूर मोरहर नदी के तट पर बसा हूं। करीब 300 वर्ष पहले मेरी बंजर भूमि पर लोगों का निवास शुरू हुआ था। मेरा नाम बहुत कम लोग जानते थे, जिससे मेरे दिल में एक टीस उठती रहती थी। सोचता था इस भूमि पर कोई ऐसा व्यक्ति पैदा हो, जो मेरे नाम को रोशन कर सके। जब सन 1985 में जगतानंद सिंह को बिहार का डीजीपी बनाया गया, तो मैं उस दिन कितना खुश था, बयां नहीं कर सकता। जगतानंद मेरे ही यहां जन्मे और यहीं से शिक्षा प्राप्त किये। वर्ष 2011 में सरकार ने इसी चिताप खुर्द में जन्मे श्री अभयानंद को बिहार का नया डीजीपी बनाया। दोनों पिता-पुत्र की इस उपलब्धि पर मुझे खुशी होती है। आज मैं बहुत खुश हूं कि मेरे गांव में जन्मे दो व्यक्ति डीजीपी जैसे शीर्ष पद को पाने में सफल हुए। मुझे अपने सभी कामयाब बेटों पर बेहद गर्व है।
मेरा नाम चिताप खुर्द क्यों रखा गया? इसकी जानकारी आज ढेर सारे लोगों को नहीं है। पर, मुझे लगता है कि मेरा नाम चिताप खुर्द इसलिए रखा गया, क्योंकि मेरे सामने नदी के पार वाले गांव का नाम चिताप कला है, जो शेरघाटी प्रखंड में है। मेरी बंजर भूमि पर सबसे पहले, जो अब महादलित के नाम से जाने जाते हैं, उन्हीं लोगों ने निवास शुरू किया था। फिर, कुछ मुस्लिम लोगों ने भी अपना बसेरा मेरे यहां बनाया। लेकिन, आज से करीब 40 वर्ष पहले यहां रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग स्वेच्छा से शेरघाटी प्रखंड में बारहुसैनगंज में जाकर बस गए। फिलवक्त मेरे यहां एक भी मुस्लिम नहीं रहते हैं। वर्तमान में यहां 60 घर भूमिहार, 225 घर महादलित, 50 घर मल्लाह, 4 घर कहार, 7 घर ठाकुर एवं 2 घर यादव जाति के लोग जीवन गुजार रहे हैं। मेरे यहां की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस गांव के 30 लोग इंजीनियर, 5 डाक्टर, 8 प्रोफेसर, 20 अधिवक्ता हैं। आमस के प्रखंड प्रमुख अजय सिंह इसी चिताप खुर्द के निवासी हैं। बुजुर्ग सूर्यनारायण सिंह, अरविंद कुमार सिंह, वार्ड सदस्य चुन्नु सिंह इठलाते हैं कि उनका गांव अभयानंद की ईमानदारी को लेकर चर्चित हुआ है। अभयानंद के भाई अजयानंद, दिल्ली में रेलवे विभाग में डीजीएम के पद पर कार्यरत हैं, वहीं इस गांव के प्रशांत भूषण, भागलपुर में इन्कम टैक्स कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। इंदूभूषण प्रसाद सिंह भागलपुर से एडीएम पद एवं कामेश्वर सिंह एडीएम पटना से रिटायर्ड हुए। मैं बिहार के वर्तमान डीजीपी अभयानंद के पिता जगतानंद से इतना खुश हूं कि गांव में बने उनके स्मृति चिह्न पर रोज शत्-शत् नमन करता हूं। साथ ही यह कामना करता हूं कि उनकी तरह और भी लोग विभिन्न शीर्ष पदों पर आसीन होकर मेरे गौरव को बढ़ाते रहें।
अपने पिता को श्रधांजली देते हुए - श्री अभयानंद , पुलिस प्रमुख , बिहार
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आंकड़ों की नजर में चिताप खुर्द
गांव की आबादी 53 हजार
विद्यालय -1
स्वास्थ्य उप केन्द्र 1
आंगनबाड़ी केन्द्र 2
डाकघर- 1
प्रस्तुति- अनवर हुसैन सोनी