साभार : दैनिक जागरण
द्वारा : श्री सर्वेश उपाध्याय , बंगलुरु
डालमियानगर (रोहतास) मैं एडीजीपी अभ्यानंद बोल रहा हूं। वीडियो आनलाइन कांफ्रेंसिंग से आप सब पुलिस अधिकारियों को कुछ विधि सम्मत जानकारियों देने जा रहा हूं। आपके द्वारा किए जा रहे कार्यो के बारे में आपसे जानकारी लूंगा। शुक्रवार को एसपी के आवास पर उनकी मौजूदगी में वीडियो कांफ्रेंसिंग प्रशिक्षण के जरिये इंस्पेक्टर, थानाध्यक्ष समेत अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
अभ्यानंद ने पूछा,आप कौन? अटेंशन की मुद्रा में खड़े होकर इधर से जवाब, सर ! मैं डेहरी थाने का सब इंसपेक्टर शेषनाथ राय। अभ्यानंद- हां तो सीडी (केस डायरी) में पहले क्या लिखते हैं? दूसरा सवाल सनहा दर्ज करते समय तथ्यों को दैनिकी में कुछ लिखते हैं या नहीं। इधर से इसका जवाब नहीं मिला। इंस्पेक्टर एनके मिश्रा से पूछा तो वे भी बगले झांकने लगे। फर्द बयान संज्ञेय अपराध है या नहीं? संज्ञेय अपराध के अनुसंधान के रूप में आपको कब जानकारी हुई? आप अगर ओडी में हैं तो ओडी छोड़कर घटनास्थल पर जाएंगे या नहीं? थाने पर मिली सूचना को एफआईआर मानेंगे या फर्द बयान को? सनहा इंट्री करते हैं.., और भी कई ऐसे सवाल जिसका इधर से कोई जवाब नहीं मिल सका।
स्क्रीन पर सामने दिखे उपेन्द्र (प्रशिक्षु आईपीएस) से- आप भी कुछ बताईए। उनका जवाब-नहीं जानते सर। सनहा या अज्ञात द्वारा दी गई सूचना को आप लिखेंगे या नहीं। कुछ ने हां तो कुछ ने नहीं में जवाब दिया। केसों में पीओ पर कितने लोगों ने गवाही दी है। कुछ अधिकारी ने कहा 90 प्रतिशत क्रास कोर्ट में होता है। जहां सामान बरामद करते हैं तो उसे पीओ में लिखते है? प्रशिक्षु आईपीएस ने कहा अधिकारी 40 प्रतिशत ही लिखते हैं। सीडी में नक्शा भी बनाएं। जब्ती सूची और सामान को थाना के मालखाना में रखना उचित है या अनुचित? इंस्पेक्टर मिश्रा ने कहा अनुचित। तब एडीजीपी ने बताया कि जब्त सामान (प्रोपर्टी) कोर्ट का हो जाता है। अत: उसे आप कोर्ट में जरूर प्रस्तुत करें तथा कोर्ट के आदेश से ही जब्त सामान को थाना के मालखाना में रखें। प्रशिक्षण पूरे दिन चला जिसमें डेहरी, डालमियानगर, दरिहट, अकोढ़ीगोला, राजपुर, तिलौथू समेत अन्य थानों के करीब दो दर्जन अधिकारी शामिल हुए।
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