भारत में ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि डैडी भी रहे डीजीपी और अब बेटे को भी मिल गयी है डीजीपी की कुर्सी। नवनियुक्त डीजीपी अभयानंद को यह गौरव हासिल हो गया है। उनके पिता जगदानंद 1986 में बिहार के डीजीपी थे।
डीजीपी नियुक्त किए जाने के एलान के तुरंत बाद अभयानंद सपत्नीक बेली रोड स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे और वहां भगवान श्रीराम की चल रही आरती में हिस्सा लिया।
लंबे इंटरव्यू के मूड में नहीं थे अभयानंद और न ही इस औपचारिक सवाल के उत्तर देने की तैयारी में कि डीजीपी के रूप में प्राथमिकता क्या होगी? बस इतना कहा-'पुलिसमैन में मैन सही तरीके से स्थापित हो जाये तो काफी अच्छा लगेगा उन्हें। पुलिस अपनी विश्वसनीयता के लिए भी जानी जाती है। यह विश्वास और सुदृढ़ हो यह हमारी इच्छा है।'
लंबी अवधि तक अभयानंद (एडीजी) पुलिस मुख्यालय रह चुके हैं। उस वक्त जिस तरह से स्पीडी ट्रायल को स्पीड देकर उन्होंने ख्याति बटोरी वह बिहार के बाहर भी चर्चा का विषय रहा। हर माह जिला पुलिस अधीक्षकों को पुलिस मुख्यालय में यह सूचना देना अनिवार्य कराया गया कि स्पीडी ट्रायल के माध्यम से कितने अपराधियों को सजा दिलायी गयी। अभयानंद का यह प्रयोग भी खूब चर्चा में रहा कि उन्होंने सूबे के सभी कनीय पुलिस अधिकारियों का एक डाटा बैंक बनवाया। इसे नियमित रूप से अपडेट किए जाने की व्यवस्था है। इसके माध्यम से यह होता है कि अगर किसी पुलिस अधिकारी का कहीं तबादला हो जाता है तो इस डाटा बैंक पर जाकर उसे आसानी से खोजा जा सकता है। यह गवाही के लिहाज से जरूरी है।
अभयानंद की ख्याति सुपर थर्टी की वजह से देश क्या विदेशों में हुई। वे बताते हैं-'एक समय उनकी पोस्टिंग उस पद पर हो गयी जहां काम कम था। खाली समय में वे अपने बेटे को खुद पढ़ाने लगे। वह आईआईटी कर गया। इसके बाद मन में यह ख्याल आया कि जब अपने बच्चे को मैं पढ़ा सकता हूं तो फिर दूसरे बच्चों को क्यूं नहीं? बस यहीं से सुपर थर्टी का कांसेप्ट शुरू हो गया। ध्यान समाज के उन बच्चों पर गया जो हाशिए पर हैं लेकिन उनमें मेरिट है। बात आगे बढ़ी और कई बैच आईआईटी में पहुंच गये।'
एक बार वे अपनी पत्नी, जो डाक्टर हैं के साथ आईआईटी दिल्ली के परिसर में थे। गेट पर हमारे आने की खबर हुई कि नहीं कि बड़ी संख्या में बच्चे आ गये और पैर छूने लगे। मन को भावुक कर देने वाला क्षण था वह। आज भी वे अल्पसंख्यक समाज के बच्चों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी को ले पढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से इसका अच्छा परिणाम भी मिल रहा है। कहते हैं-'मन पढ़ाने में खूब लगता है।'
एक पुत्र व एक पुत्री के पिता अभयानंद दो भाई हैं। एक भाई रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी हैं। चार बहनें हैं। आईपीएस पिता से जुड़ी स्मृतियों के संबंध में वे कहते हैं-''पापा हमसे पुलिस के बारे में बात कम करते थे। जब ट्रेनिंग पोस्टिंग के लिए रांची जा रहा था तब उन्होंने जरूर कहा था-वर्दी का काफी महत्व है।''
2 comments:
Hearty congratulation to Shri Abhay Anand Sir.
I had got the opportunity to listen to your talk on 20th august at Udaipaur.
Sir please go through my mail to you on mathematics with some attachments
regards
Amarnath murthy
Hearty Congratulatinos to Shri Abhaya Anand Sir, The great Mentor.
I had got the opportunity to listen to your talk at Udaipur on 20th August.
Sir pl go through my mail to you about mathematics.
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