Saturday, October 29, 2011

सिर्फ गया-जहानाबाद में हैं 400 अवैध क्रशर


Oct 28, 11:24 pm
पटना, जागरण ब्यूरो
अकेले गया और जहानाबाद जिले में 400 अवैध क्रशर रहे हैं। यह सूबे में आर्थिक अपराधियों की सक्रियता का नमूना है। पुलिस ने जब शुक्रवार को इन क्रशरों के खिलाफ अभियान शुरू किया, तो यह बात सामने आयी कि इस 'अपराध' की आड़ में मोटी राशि का घालमेल चल रहा था। इसके हिस्सेदारों में कई वैसे लोग भी थे, जिन पर रोकथाम की जिम्मेदारी थी।
डीजीपी अभयानंद ने बताया कि जिन एक दर्जन क्रशर को छापेमारी के बाद बंद किया गया है, उन पर सरकार को 40 से 50 लाख रुपये का चूना लगाने की बात है। यह आकलन अभी पूरा नहीं हुआ है। अनुसंधान थोड़ा समय ले सकता है, क्योंकि छोटी-छोटी बातों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। कई विभागों के अफसरों को लेकर पुलिस ने अपना यह अभियान चलाया था।
इस अभियान की परिधि में कई अन्य जिले भी आ सकते हैं। पहले चरण में पुलिस गया और जहानाबाद के स्टोन क्रशरों को खंगालना चाहती है। यह रिपोर्ट भी पक्की है कि लाइसेंस वाले क्रशर भी बड़े स्तर पर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। आज कुल 11 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी हुई है।
डीजीपी ने बताया कि क्रशर बंद होने के बाद वहां काम कर रहे मजदूरों के सामने जीविका की समस्या उत्पन्न न हो, इसका ख्याल रखा जा रहा है। छापामारी में गया जिले के डीडीसी को भी रखा गया था। क्रशर में काम करने वाले मजदूरों को मौके पर ही मनरेगा के जाब कार्ड दिये गये हैं।

Wednesday, October 26, 2011

आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों को दर्ज करने के लिए भी अलग से थाना

दैनिक जागरण , पटना संस्करण लिखते हैं :-


पटना, जागरण ब्यूरो : सीबीआइ और निगरानी विभाग के थानों की तरह आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों को दर्ज करने के लिए भी अलग से थाना होगा। पुलिस महानिदेशक अभयानंद के अनुसार इस आशय का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। गृह विभाग ही थाना अधिसूचित करने के संबंध में आदेश जारी करेगा। इधर, पुलिस मुख्यालय का आर्थिक अपराध पर फोकस बढ़ा है। मुख्यालय, अपराध अनुसंधान विभाग के अधीन गठित आर्थिक अपराध कोषांग को और सशक्त करना चाहता है। बदलते परिवेश, आर्थिक अपराध की जटिलताएं और बढ़ते साइबर क्राइम को देखते हुए पुलिस अनुसंधान में लोगों को और दक्ष बनाया जा सके, इसके लिए सीबीआइ के गाजियाबाद स्थित प्रशिक्षण केन्द्र में ट्रेनिंग दिलाने की योजना है। दरोगा से लेकर डीएसपी स्तर के अधिकारियों को चरणबद्ध तरीके से ट्रेनिंग दिलायी जायेगी।

Sunday, October 23, 2011

Bihar police bust Kisan Credit Card racket


Patna, Oct 22 (PTI) Bihar Police today claimed to have busted a racket in irregular and clandestine withdrawal of Rs five crore through Kisan Credit Card (KCC) following the arrest of two persons in Khagaria district. Director General of Police Abhaya Nand said the money was withdrawn form Bank of India and Allahabad Bank using 800 KCCs. The racket was busted by the economic offences department of Bihar Police. Police had arrested the two men earlier from their houses at Chichrua village in the district. They later confessed to have been involved in irregular and clandestine withdrawal of money from banks using KCCs, he said.

पुलिस ने बिहटा में तीस कट्ठे के बड़े प्लाट को अपने कब्जे में ले लिया है।


पटना, जागरण ब्यूरो : स्वामित्वविहीन (अनक्लेम्ड) जमीन और फ्लैट को पुलिस ने अपने कब्जे में लेने का अभियान आरंभ किया है। पुलिस ने बिहटा में तीस कट्ठे के बड़े प्लाट को अपने कब्जे में ले लिया है। पुलिस उन फ्लैटों को भी जब्त करेगी जो स्वामित्वविहीन है। आर्थिक अपराध पर लगाम कसने को केंद्र में रख बड़ा अभियान शुरू होने वाला है। डीजीपी अभयानंद ने शनिवार को बताया कि इस तरह की बातें अक्सर चर्चा में रहती है कि फर्जी नाम से बड़े स्तर पर रियल एस्टेट में निवेश किया जा रहा है। पुलिस इस तरह के आर्थिक अपराध पर नजर गड़ाये हुए है। हाल ही में पुलिस को यह सूचना मिली थी कि बिहटा में तीस कट्ठा का एक प्लाट स्वामित्वविहीन है। पुलिस ने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया तो यह बात सामने आयी कि प्लाट की रजिस्ट्री हाल ही में हुई है। उस व्यक्ति की तलाश की गयी जिसने जमीन की रजिस्ट्री कराई है तो पता चला कि वह आसपास नहीं रहता है। जिस व्यक्ति के पते पर रजिस्ट्री की गयी थी उसका भी पता नहीं चला। इसके बाद पुलिस ने उक्त प्लाट को अनक्लेम्ड मानते हुए कब्जे में ले लिया। डीजीपी ने बताया एक्ट में पुलिस को इस तरह के अधिकार हैं कि स्वामित्वविहीन संपत्ति को वह जब्त कर सकती है। अपने सूत्रों से पुलिस इस तरह की संपत्ति का पता लगा रही है। पुलिस ने जिला प्रशासन को कब्जे में ली गयी जमीन का पूरा ब्योरा उपलब्ध करा दिया है। डीएम के स्तर से इस मामले में नोटिस दी गयी है कि जिसकी यह जमीन है वह इसका वैधानिक ब्योरा जिलाधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराये। अगर दावा सही रहा तो जमीन मुक्त कर दी जायेगी। छह महीने तक अगर दावा नहीं किया गया संपत्ति सरकारी संपत्ति में शामिल कर ली जायेगी। 

DGP Abhayanand Initiative . 

Thursday, October 20, 2011

लुहारों की भट्ठियों में गलेंगे मालखानों में रखे हथियार



पटना। बिहार में पुलिस थानों के मालखानों में रखे हथियार अब लुहारों की भट्ठियों में गलाए जाएंगे। कल तक जो हथियार किसी की जान लेने के काम आते थे उन्हें गलाकर जन उपयोगी सामान बना दिया जाएगा। बिहार पुलिस इस अनोखी पहल की शुरुआत कर चुकी है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि अदालती प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए दरभंगा में न केवल अपराधियों से जब्‍त हथियारों को नष्ट करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है बल्कि भविष्य में अन्य स्थानों पर भी ऐसा करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में उन हथियारों को नष्ट करने की कार्रवाई की जा रही है जिनसे सम्बंधित मामलों की सुनवाई प्रक्रिया न्यायालय में पूरी हो चकी है।राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने आईएएनएस को बताया कि हथियार किसी भी स्थिति में उचित नहीं है, वे नुकसानदेह ही होंगे। वह कहते हैं कि न्यायालय के आदेश के बाद हथियारों को लुहारों की भट्ठियों में गला कर कड़ाही, तवा सहित कई जन उपयोगी सामान बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही बिहार पुलिस अपराधियों से जब्‍त हथियारों का रिकार्ड भी नष्ट करने के लिए उच्‍च न्यायालय से इजाजत मांगेगी।उन्होंने कहा कि थाने में रखे जाने वाले हथियारों के गलत उपयोग की भी आशंका बनी रहती है। वह बताते हैं कि अवैध हथियारों की बरामदगी के बाद मामले की सुनवाई के दौरान बतौर साक्ष्य इन हथियारों को न्यायालय में प्रस्तुत करना पड़ता है। इसके बाद इन्हें थानों के मालखानों में रख दिया जाता है। इस कारण जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक उसे नष्ट नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि दरभंगा में न्यायालय के आदेश के बाद मंगलवार को क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक की देखरेख में हथियारों को गलाने का कार्य किया गया। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई जिसे साक्ष्य के रूप में न्यायालय को दिखाया जा सकेगा। एक अन्य पुलिस अधिकारी के अनुसार वर्तमान समय में ऐसे हथियार नष्ट किए जा रहे हैं जिनसे सम्बंधित सुनवाई पूरी हो गई है परंतु जल्द ही न्यायालय से ऐसे हथियारों को भी नष्ट करने की इजाजत मांगी जाएगी जिनसे सम्बंधित मामलों की सुनवाई अभी न्यायालय में चल रही है। वह कहते हैं कि इसके लिए जब्‍त हथियारों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि राज्य के करीब सभी थानों में बड़ी मात्रा में हथियार जमा हैं जिनमें कई हथियार उचित देखरेख के अभाव में बर्बाद हो चुके हैं या बेकार हो गए हैं।


DGP Abhayanand Initiative 

DGP Abhayanand says Corruption May Become Economic Offence in Bihar


In a bid to curb corruption, Bihar police has proposed to make the scourge an economic offence and strengthen the agencies dealing with such crimes.

DGP Abhayanand told reporters that though the vigilance bureau has been dealing with corruption cases, it was felt that the police department could deal with such cases on its own.

Police would bolster its economic offence wing to check the menace, he said.

Abhayanand, who participated in a meeting of civil and police officials presided by Chief Minister Nitish Kumar, said ensuring peaceful and crime-free law and order situation were his top priorities.

Principal Secretary (Cabinet Coordination and Secretariat) Ravikant told reporters that the chief minister directed that peaceful law and order situation be maintained with zero tolerance policy towards communal and social strifes.

Wednesday, October 19, 2011

Ranjita's achievements caught the attention of Bihar's DGP Abhayanand



An enterprising woman constable of Bihar Police has been luring extremely poor children, including slum-dwellers and street children, to soccer to give them new lives.
Ranjita Singh, 27, currently posted with the training cell of Munger district police, has helped six children she trained to represent Bihar in the under-13 national championships and three others to make it to Sports Authority of India (SAI) hostel at Kishanganj, Bihar.
"I have been coaching football to 65 youngsters, including one girl, from extremely poor families to help them represent the state and the country in various tournaments," Ranjita said.
"Four of the six players who represented Bihar are the sons of sweepers with the Homeguards or the Railways while the two others are the sons of a daily-wage labourer and a milk vendor," she said.
Ranjita, from Bhojpur's Dhandiha village, said it had become her mission to harness the sporting talent of these children roaming the streets of Munger town.
"I saw about a dozen young boys loitering around aimlessly in the streets. Most were addicted either to drugs or gutkha. I casually invited them to play soccer with me at a local playground one morning… I started practising soccer with them every day and discovered that some of them were very gifted players," Ranjita said.
When the boys started attending her morning practice sessions regularly, she dropped a bombshell.
"I told them that I would not practice with them anymore because of their addictions and other bad habits," she said.
This brought about a sea change in their behaviour and they promised to give up all their bad habits to play football with her. Ranjita, with the help of her colleague Sushma and a physical training instructor Chandan, got them admitted to different schools and even got their tuition fee waived.
"We have a big ground in Munger but we did not have other infrastructure such as footballs, jerseys and boots for the players. This created hurdles in sending our players for an inter-district selection camp being held at Hajipur last year," she said.
Fortunately, the then SP M. Sunil Nayak heard about her mission and donated the players' uniforms, balls and boots to help them.
"This enabled our boys to go there and six of them qualified for Bihar's team that played in the national championships," Ranjita explained.
Ranjita's achievements caught the attention of Bihar's DGP Abhayanand who announced a cash award of Rs 5,000 for her and also asked the SP to relieve her from her regular duty in the police department.
"I am so obliged that the DGP has reposed trust in a constable such as me. I will try my level best to live up to his expectations," she said.
Ranjita too had made it to the Indian women's soccer team after excelling at the national championships in which she represented Bihar.
"I went to Singapore to play in an international championship organised by the Football Association of Singapore (FAS) in 2003," she claimed.
"I initially excelled in track and field events and even lived at the SAI hostel in Ranchi but I was later drawn towards soccer. I started by playing with the boys and was selected for the Bihar and the India teams. The state government twice felicitated me for my performances," she added.
She suffered from a nagging knee problem which affected her career as a player.
Her father was a mechanic in the state public health and engineering department and her family of seven faced financial problems following his retirement.
"I wanted to join the National Institute of Sports but desperately needed a job. So I finally became a constable in 2008," she said.


Friday, October 14, 2011

रंजीता के जज्बे को डीजीपी का सैल्यूट


रंजीता के जज्बे को डीजीपी का सैल्यूट पटना, जागरण ब्यूरो : फुटबाल के प्रति लगन की बदौलत मुंगेर जिला पुलिस बल में सिपाही पद पर कार्यरत रंजीता को आखिरकार डीजीपी का सैल्यूट मिल ही गया। चार साल पहले वह पुलिस में भर्ती हुई थी। डीजीपी अभयानंद के मुताबिक बुधवार को वे मुंगेर में थे। रंजीता उनसे मिलने आयी और कहा-मैंने जिन बच्चों को फुटबाल की ट्रेनिंग दी है उनसे मिल लीजिये सर। यह सुन उत्सुकता हुई। मैंने देखा कमाल की ट्रेनिंग है उन आठ से चौदह वर्ष के बच्चों की। उन सभी की रंजीता दीदी का करिश्मा यह है कि उनमें से चार बच्चे भारतीय फुटबाल की अंडर 14 टीम में शामिल कर लिए गये हैं। बिना किसी बड़े हाइप के मुंगेर में यह काम हो रहा है। डीजीपी ने विभाग के स्तर से रंजीता के लिए पांच हजार रुपये के पुरस्कार की अनुशंसा की है। रंजीता, पुलिस में आने के पहले भारतीय महिला फुटबाल टीम की सदस्य रही हैं। पुलिस में आने के बाद भी उसने अपने शौक को जारी रखा। आसपास के गरीब बच्चों को फुटबाल से जोड़ा और सुबह-शाम उन्हें ट्रेनिंग देने लगी। आज वह बीस-बाइस बच्चों को ट्रेनिंग देती है। रंजीता ने अभी शादी नहीं की है। वह अपने वेतन की बड़ी राशि इन बच्चों के प्रशिक्षण पर खर्च कर रही है।

DGP Abhayanand Initiative : Speedy Trials & Arms Act


आ‌र्म्स एक्ट के मामलों में अपील की नकेल पटना, जागरण ब्यूरो : पुलिस मुख्यालय ने आ‌र्म्स एक्ट के छुट्टा घूम रहे सजायाफ्ता अपराधियों को अपील की नकेल से कसने की योजना सभी व्यवहार न्यायालयों तक पहुंचा दी है। डीजीपी अभयानंद ने बताया कि सभी व्यवहार न्यायालयों को लिखित रूप से यह अनुरोध किया गया है कि कोर्ट ने अपील की सुनवाई की जो तारीख तय की है उसपर हर हाल में अपील को सुन लिया जाये। यह स्पीड अपील की योजना का एक हिस्सा है और फिलहाल इसे आ‌र्म्स एक्ट तक रखा गया है। पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में जिलों से यह आंकड़ा मंगवाया था कि आ‌र्म्स एक्ट के तहत सजायाफ्ता हुए कितने लोग अपील में गये हैं। संख्या काफी है। इसके बाद पुलिस ने स्पीड अपील की योजना तैयार की। डीजीपी ने कहा कि पूर्व में अपील की जो तारीखें निचली अदालत ने तय कर रखी है उसमें परिवर्तन तो संभव नहीं है। इस बात को ध्यान रख न्यायालयों से यह अनुरोध किया गया है अपील सुनने की जो तारीख तय है उसपर हर हाल में अपील को सुन लिया जाये। अपील पर फैसले के तुरंत बाद संबंधित सजायाफ्ता को गिरफ्त में लेने या फिर अगली कार्रवाई के निर्णय में पुलिस को सहूलियत होगी। अभी सिर्फ आ‌र्म्स एक्ट से जुड़े मामलों में पुलिस की ओर से न्यायालयों में आवेदन दिया गया है। दूसरे मामलों पर भी अपील के बारे में न्यायालय को आवेदन दिया जा सकता है। आंकड़े नहीं ब्योरा मंगा रहा पुलिस मुख्यालय पटना : स्पीडी ट्रायल पर पुलिस मुख्यालय ने फिर से अपने को केंद्रित किया है। हाल के दिनों तक जिलों से पुलिस मुख्यालय के पास स्पीडी ट्रायल के जो आंकड़े आ रहे हैं उसमें सिर्फ संख्या का जिक्र रहता है। यह बताया जाता है कि कितने लोगों को दस वर्ष तक की सजा हुई। कितने को आजीवन कारावास या फिर कोई और सजा। पुलिस मुख्यालय ने अब यह व्यवस्था की है कि जिलों से संख्या की बजाए उन मामलों का पूरा जिक्र भेजा जाये जिसमें सजा हुई है। डीजीपी का कहना है कि इसका मकसद उन मामलों की मानीटरिंग करना है जो चर्चित रहे हैं।

Tuesday, October 11, 2011

DGP Abhayanand Initiative


DGP Abhayanand Initiative 

डीएसपी के सीधे नियंत्रण में पुलिस और गाड़ी


DGP Abhayanand Initiative :- 

डीएसपी के सीधे नियंत्रण में पुलिस और गाड़ी पटना, जागरण ब्यूरो :
 पुलिस मुख्यालय ने जिला पुलिस बल को कंपनी में तब्दील किए जाने का आदेश सोमवार को जारी कर दिया। जिस जिले में छह कंपनी होगी, वहां एक बटालियन पुलिस बल की उपलब्धता हो जायेगी। जिलों के एसपी को इसका पूरा हिसाब-किताब लगाना है कि किस एसडीपीओ को कितनी कंपनी उपलब्ध कराई जाए। अब डीएसपी के पास अपनी फोर्स और गाड़ी होगी। पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में सैप को जिलों के पुलिस अधीक्षकों के नियंत्रण से मुक्त किया था। आला अधिकारियों का कहना है कि जिलों में इतनी संख्या में पुलिस बल हैं कि उनका सही आंकड़ा जिला पुलिस मुख्यालय तक में उपलब्ध नहीं है। इसके बाद भी डीएसपी को जब पुलिस बल की जरूरत पड़ती है तो वह एसपी से गुहार लगाने पहुंच जाते हैं। नयी व्यवस्था के तहत एसपी अपने अधीन कार्यरत सभी एसडीपीओ यानी डीएसपी को जरूरत के हिसाब से पुलिस बल की कंपनी उपलब्ध करा देंगे। पुलिस बल उसके अधीन काम करेंगे। डीएसपी को पुलिस बल के लिए कहीं नहीं जाना होगा। पुलिस मुख्यालय ने इनके लिए वाहनों की भी अलग से व्यवस्था कर दी गयी है। सूबेदार व जमादार स्तर के पुलिस अधिकारी कंपनी कमांडर के रूप में काम करेंगे। उन्हें इसका हिसाब रखना है कि उनकी कंपनी के जवान की तैनाती कहां है। अभी यह पता नहीं चल पाता है कि जिलों के पुलिस बल कहां-कहां बिखरे पड़े हैं। लाठी पार्टी और राइफलधारी पुलिस बलों का अलग-अलग हिसाब रखा जायेगा।

Monday, October 10, 2011

मिलिट्री की तरह कंपनी में तब्दील होगी जिला पुलिस

पटना, जागरण ब्यूरो : जिला पुलिस के जवानों का जत्था अब मिलिट्री कंपनी की तर्ज पर कंपनी में तब्दील हो जायेगा। पुलिस मुख्यालय ने जिला पुलिस बल को व्यवस्थित करने की दिशा में अपना काम आगे बढ़ाया है। बड़े जिलों में जिला पुलिस बल की उपलब्धता के हिसाब से कई पुलिस कंपनियां होंगी। प्रत्येक कंपनी की देखरेख के लिए एक पुलिस अधिकारी की तैनाती रहेगी। पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों का कहना है कि अभी जिला पुलिस बल का ढांचा पूरी तरह से तितर-बितर है। जिला पुलिस बल के कितने जवान कहां तैनात हैं इसकी सही-सही सूचना उपलब्ध नहीं है। कई बार तो इतनी संख्या में जिला पुलिस के जवान प्रतिनियुक्ति पर चले जाते हैं कि काम प्रभावित होने लगता है। कौन जवान कब छुट्टी पर गया यह भी जिला पुलिस मुख्यालय को सही समय पर मालूम नहीं हो पाता है। वहीं कुछ जिला पुलिस जवानों की संख्या इतनी अधिक है कि वह कई कंपनियों के बराबर है। इस बात को ध्यान में रख पुलिस मुख्यालय ने जिला पुलिस बल को कंपनी के रूप में संगठित किए जाने का फैसला लिया है। जिला पुलिस बल का संगठन यह होगा कि कंपनी दो तरह से तैयार होगी। लाठी बल और राइफलधारी जवानों का पुलिस बल। जिले के एसपी के पास लिखित तौर पर हर वक्त यह जानकारी होगी कि जिले में कितनी संख्या में राइफलधारी और लाठीधारी जवान हैं और उनकी तैनाती कहां है। एसपी के ठीक नीचे वाले रैंक के अधिकारी के स्तर से जवानों के मूवमेंट की मानीटरिंग हो। यह व्यवस्था लागू हो जाने के बाद संबंधित पुलिस प्रक्षेत्र के वरीय अधिकारियों के पास ही जवानों की उपलब्धता का पूरा ब्योरा होगा। छोटी-छोटी सूचनाएं भी तत्काल उपलब्ध हो सकेंगी।

Sunday, October 9, 2011

DGP Abhayanand Initiative

DGP Abhayanand Initiative

साभार : हिंदुस्तान , पटना संस्करण 

Abhayanand : Patna University Physics Record Holder..


राजनीतिक दबाव कुछ नहीं होता-अभयानंद, DGP (बिहार) 


(बिहार के डीजीपी अभयानंद जी से तहलका के संवाददाता निराला की बातचीत.)

डीजीपी बनने के बाद अब आपकी जिम्मेवारियां बढ़ गयी हैं. आप फिजिक्स के पठन-पाठन और रहमानी-30 जैसी संस्थाओं को कितना समय दे पायेंगे?
 समयाभाव तो कुछ होगा लेकिन एकदम से यह सब रूक जायेगा, यह असंभव है. पढ़ना-पढ़ाना मेरा पैशन है, इसे मैं नहीं रोक सकता. रही बात समय की तो कोई कितना भी व्यस्त हो, कुछ टाईम तो पर्सनल लाईफ के लिए निकाल ही सकता है. उसी समय को मैनेज कर इन संस्थानों में जाउंगा.

आप जिस समय में राज्य के पुलिस महकमे के मुखिया बने हैं,वह कानून-व्यवस्था की दृष्टि से क्या वाकई काफी अनुकूल दौर है?
 स्थितियों के अनुकूल-प्रतिकूल की बजाय मैं यह मानता हूं कि पुलिसवालों के सामने हर रोज एक नयी चुनौती सामने होती है.

फिलहाल पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
 तीन साल से मैं मेनस्ट्रीम से दूर था, इसलिए अभी कुछ नहीं कह सकता लेकिन मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चुनौती विभागीय संवादहीनता की है. आपस में ही संवादहीनता काफी है, इसलिए पब्लिक से भी संवादहीनता बढ़-सी गयी है. और इसके बाद सबसे बड़ी चुनौती साख और विश्वसनीयता की है. अब तक तो मैं पुलिस महकमे को अलग-अलग इकाइयों के रूप में देखते रहा हूं. अब समग्रता में देखूंगा तो मेरी पहली कोशिश होगी कि साख और विश्वसनीयता बहाल हो. पुलिस के कहे पर लोग भरोसा करें.

 बिहार में पुलिस-पब्लिक टकराव की घटनाएं तेजी से सामने आयी हैं. लोग बात-बेबात कानून हाथ में ले रहे हैं, पुलिसवाले भी आपा खो रहे हैं. इसकी क्या वजह मानते हैं और इससे पार पाने के क्या उपाय करेंगे?
 हां मैंने भी मीडिया के माध्यम से कुछ घटनाओं के बारे में जाना है लेकिन अब असलियत क्या है, कारण क्या रहे हैं, इसे समझने की कोशिश करूंगा.मीडिया के खबरों से तो सबकुछ सच-सच नहीं जाना सकता न! न ही मीडिया की खबरों के आधार पर रणनीति तय की जा सकती है. वैसे मैंने पहले ही कहा कि पुलिसवालों के बीच आपसी संवादहीनता ही ज्यादा हो गयी है. उनके बीच आपसी विभागीय संवाद कायम हो, तब तो वे पब्लिक से संवाद कायम कर सकेंगे.

बिहार के नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में कुछ और नाम भी जुड़ गये हैं. नक्सली समस्या को कैसे देखते-आंकते हैं? किस तरह निपटना चाहेंगे?
 मैं मानता हूं कि नक्सली समस्या की मूल वजह को अब तक जाना-पहचाना नहीं जा सका है. क्षेत्र और राज्य विशेष के अनुसार इस समस्या का अब तक आकलन किया जाता रहा है और उसी के अनुसार पार पाने के लिए प्रयोग किये जाते रहे हैं. कोई भी प्रयोग अब तक पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है लेकिन प्रयोग करना बंद भी तो नहीं किया जा सकता. मैं भी कुछ प्रयोग करना चाहूंगा, वह किस तरह का होगा, यह नहीं बता सकता. वैसे मैं नक्सलप्रभावित क्षेत्रों के अर्थशास्त्र को सबसे पहले समझने की कोशिश करूंगा.

 आप कह रहे हैं कि कारण का ही पता नहीं चल सका है और प्रयोग भी असफल होते रहे हैं, तो क्या पिछले 44 सालों से नक्सलियों के खिलाफ तुक्काबाजी का अभियान चलाया जाता रहा है?
 नहीं, ऐसा नहीं. कारण स्पष्ट नहीं है, यह कह रहा हूं लेकिन उसके बारे में एकदम से कोई जानकारी नहीं है, ऐसा भी नहीं है इसलिए तुक्काबाजी पर चलाया गया अभियान नहीं कह सकते.

 पुलिस और पब्लिक के बीच जो दूरियां बढ़ी हैं, भरोसा खत्म हुआ है, उसे पाटने में कम्युनिटी अथवा सोशल पुलिसिंग जैसे अभियान की कितनी भूमिका देखते हैं आप?
पहले तो कोई भी पुलिसमैन एक मैन होता है. अब किसी आदमी की आदमीयता या मानवीयता किसी अभियान से तो जगायी नहीं जा सकती. अभियान तो एक ड्युटी की तरह हो जाता है. जब तक पुलिसवाले खुद से ही इसे अपने फर्ज की तरह नहीं लेंगे, बहुत कुछ बदलाव होगा, ऐसा नहीं लगता.

 आपके पिताजी भी बिहार के डीजीपी थे. अब आप भी डीजीपी हैं. आपका पूरा पैशन फिजिक्स के अध्ययन-अध्यापन में है.एकेडेमिक क्षेत्र में ही क्यों नहीं कैरियर बनाये?
 मैं पुलिस की सेवा में गलती से आ गया. इस सर्विस में आने के लिए जो मिनिमम योग्यताचाहिए, वही है मेरे पास. मैं पटना साइंस कॉलेज से साइंस ग्रेजुएट हूं. अपने बैच में टॉपर था. अपने सबजेक्ट का यूनिवर्सिटी टाॅपर था. शायद अब तक पटना विश्वविद्यालय में फिजिक्स में मुझे प्राप्त अंक रिकार्ड ही है. मैं चाहता तो था एकेडेमिक क्षेत्र में ही जाना लेकिन पटना में पढ़ने के दौरान ही देख लिया था कि यहां से और आगे जाने की ज्यादा संभावना नहीं इसलिए मैंने यूपीएससी की परीक्षा दी और फिर आईपीएस बन गया.

 फिजिक्स और पुलिस के अलावा और कोई रुचि? साहित्य, सिनेमा, संगीत वगैरह में..!
  ना, कोई खास रुचि नहीं है. साहित्य नहीं पढ़ता. सिनेमा जब एसपी था तो किसी-किसी हाॅल में बीच में ही जाकर बैठकर 10-15 मिनट देख लिया करता था. मुझे पढ़ने के तौर पर वही पसंद है,जिसे विज्ञान की कसौटी पर कसा जा सके. दर्शनशास्त्र पसंद है लेकिन खालिस नहीं, वैज्ञानिक चेतना वाला. इन दिनों ब्लैकमनी के शोर के बाद अर्थशास्त्र को भी समझने की कोशिश कर रहा हूं.

 राजनीतिक दबाव को कैसे झेलते हैं अथवा झेलेंगे...?
 दबाव कुछ होता नहीं, आप जानबुझकर उसे महसूस करते हैं. राजनीति इस पूरी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है, हर अंग को एक दूसरे से इंटरैक्ट होना पड़ता है, दबाव जैसा मैं कुछ नहीं मानता.

(साभार-तहलका)

Saturday, October 8, 2011

DGP Abhayanand Initiative

साभार : हिंदुस्तान , पटना संस्करण . 

Wednesday, October 5, 2011

Abhayanand : Bureaucrat of the month

Bureaucrat of the month : Abhayanand - DGP

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Sunday, October 2, 2011

शिक्षा के जरिये ही राष्ट्र का विकास संभव: डीजीपी

दैनिक जागरण , पटना संस्करण लिखते हैं :- 

 शिक्षा वह साधन है जिसके द्वारा समाज अपने आदर्शो का पल्लवन करता है। शिक्षा मानव के बौद्धिक, नैतिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शिक्षा के जरिये ही राष्ट्र का विकास संभव है। समाज को शिक्षित करने में शिक्षकों का योगदान है। उक्त बातें राज्य पुलिस महानिदेशक अभ्यानंद ने शनिवार को राजवंशी नगर विद्युत बोर्ड कालोनी स्थित डीएवी स्कूल में वृक्षारोपण करने के दौरान कहीं। भारतीय स्टेट बैंक की ओर से प्रायोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधन की ओर से प्राचार्य रामानुज प्रसाद ने कहा कि डीजीपी प्रशासनिक सेवा में व्यस्त रहने के बावजूद सुपर 30 के माध्यम से अब तक सैकड़ों गरीब मेधावी छात्रों को आईआईटी प्रवेश परीक्षा में दाखिला दिलाया है। शिक्षा जगत में उन्होंने नवीन सूत्रपात किया है। इस अवसर पर सभी आगंतुक अतिथियों ने विद्यालय के बागीचे में एक-एक वृक्ष लगाये।